होशियारपुर/दलजीत अजनोहा : वास्तु हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता हैं, जैसा हमारा भवन होगा वैसा ही हमारा जीवन होगा। भविष्य निर्माण में भवन की वास्तु का महत्वपूर्ण योगदान होता हैं हम जिस क्षेत्र में अपना भाग्य बनाना चाहते हैं उस क्षेत्र विशेष के लिए भवन की अलग अलग दिशाओं का योगदान रहता हैं ऐसा मानना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवम लेखक डॉ भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का।
आम बोलचाल की भाषा में दक्षिण दिशा ओर दक्षिण दिशा के भवन को लोगभाग हल्के में लेते हैं या यह कह कर टाल देते हैं कि अमुक भवन तो दक्षिण मुखी है या इस भवन की दक्षिण दिशा ज़्यादा खुली हैं।लेकिन अगर कोई व्यक्ति सफल राजनेता की श्रेणी में आना चाहता है तो उसको सबसे पहले अपने घर की दक्षिण दिशा को वास्तु सम्मत रखनी होगी। ग्रहों के सेनापति की दक्षिण दिशा जोश, जुनून, हिम्मत, त्वरित निर्णय,हौसले बुलंद करने के साथ नेतृत्व करने की क्षमता प्रदान करती हैं साथ ही साथ मान यश कीर्ति में भी वृद्धि कारक भी होती हैं। दक्षिण दिशा के साथ पूर्व दिशा को सुधार लिया तो कद्दावर नेता के साथ सरकार एवं शासन में भागीदारी हो सकती हैं। अगर कोई महिला राजनीति में सफलता के परचम लहराने के आतुर हैं तो अपने निजी भवन की दक्षिण दिशा के साथ पूर्व दिशा व उतर दिशा को भी सुधारना होगा साथ ही अपने मायके के भवन की उतर दिशा को भी दोष मुक्त रखना चाहिए।