एएम नाथ। शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्यसभा में पैसों के लेनदेन मामले में गगरेट से पूर्व विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा और हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा पर बालूगंज थाने में दर्ज एफआईआर खारिज करने से इन्कार कर दिया है।
न्यायाधीश राकेश कैंथला की अदालत ने कहा कि एफआईआर में जो आरोप लगाए गए हैं, वह संदिग्ध हैं। ऐसे में जांच अधिकारी को जांच पूरी करने की अनुमति दिए बिना दायर एफआईआर को जल्दबाजी में खारिज नहीं किया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि 10 मार्च 2024 को बालूगंज पुलिस थाने में आईपीसी की धारा 171 सी, ई और 120 बी के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 व 8 के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह एफआईआर कांग्रेस नेता संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ की शिकायत पर दर्ज की गई थी। आरोप लगाए गए थे कि राज्यसभा चुनाव के दौरान बड़ी मात्रा में धन और संसाधनों का दुरुपयोग करके वोटों की खरीद-फरोख्त हुई है। याचिकाकर्ता आशीष शर्मा और राकेश शर्मा पर आरोप हैं कि राज्यसभा चुनाव के दौरान पैसों के लेनदेन, हेलिकाप्टर के इस्तेमाल और लग्जरी होटल में ठहरने सहित अवैध तरीके से वोट खरीदने के लिए सुनियोजित तरीके से साजिश की है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि उनके याचिकाकर्ताओं को राजनीतिक कारणों की वजह से झूठे मामले में फंसाया गया है। उनके खिलाफ रिश्वत मांगने या स्वीकार करने का कोई विशेष आरोप नहीं है। वहीं राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता अनूप रत्न ने दलील दी कि जांच के लिए पीसी अधिनियम की धारा 17ए के तहत अनुमोदन के लिए पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा गया है तथा मामला विचाराधीन है। आरोप लगाया कि याचिकाकर्ताओं ने जांच अधिकारी को धमकाया और हेलिकाप्टर के इस्तेमाल सेवाओं के लिए एक दवा कंपनी द्वारा बिलों का भुगतान के अनुचित लाभ पहुंचाने के पर्याप्त सबूत हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि अगर याचिका को खारिज किया जाता है तो इसका पुलिस जांच पर असर पड़ेगा।