गढ़शंकर l.रोटरी आई बैंक एंड कोर्नियल टरांसप्लांट सोसायिटी होशियारपुर दुारा अब तक 41ृ17 लोगों के मुफत कोर्नियां टरांसप्लांट कर उनकी जिंदगी रोशन की जा चुकी है। जिन्में पांच सौ के करीव छे से अठारह वर्ष के बच्चे शामिल है। इसमें किसी भी कोर्निया लगवाने वाले से एक रूपया भी नहीं लिया जाता। यह काम दानी लेागो के सहयोग से किया जाता है। यह जानकारी देते हुए रोटरी आई बैंक एंड कोर्नियल टरांसप्लांट सोसायिटी होशियारपुर के संस्थापक मैंबर व चैयरमेन बाडी रोटरी डोनेशन कमेटी डा. तरसेम सिंह ने दी।
उन्होंने बताया कि कोर्निया खराब होने से जिन लोगों की जिंदगी में अंधेरा छा गया था उनकी जिंदगी को दोबारा रोशन करने का मिशन लेकर लिए जेबी बहल व उनकी पत्नी सीमा बहल ने 1998 में रोटरी आई बैंक एंड कोर्नियल टरांसप्लांट सोसायिटी होशियारपुर की सथापना की और इसका कार्यालयल लाला सुंदर कपूर चैरीटेवल निकट भंगी चौ,, होशियरपुर खोला गया था। उन्होंने बताया कि इस समय भारत में हर साल दो लाख पचास हजार कोर्नियांं की जरूरत है। लेकिन एक सर्वे के मुताबिक पचास हजार ही कोर्नियां उपलब्ध होते है। उन्में से भी कुछ कोर्नियांं टरांसपांट होने के योगय ना होने के कारण उन्हें मैडीकल कालेजज को रिर्सच के लिए भेज दिया जाता हे। इस तरह हर साल तीस से पैतींस हजार कोर्नियांं ही टरांसप्लांट हो पाते है। जिसके चलते कोर्नियांं की मांग का सूची लंबी होती जा रही है। पंजाब में तो कोर्नियां कुलैकशन बहुत कम है।
उन्होंने बताया कि संस्था दाुरा अब तक 25 शरीरदानियों के मरणोपरांत शरीर लेकर मैडीकल कालेजों को रिर्सच के लिए भेज चुकी है और 196 शरीरदानियों की मरणोपरांत शरीर दान करने की वसीयत आ चुकी है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार ने एक जुलाई 2003 को शरीरदान व अंगदान करने वालों को गार्ड आफ आनर देने को फैसला किया है जो सराहनीय फैसला है। हम पंजाब सरकार से मांग करते है कि शरीरदान करने वालों को मरणोंपरंत गार्ड आफ आनर दें और पंद्रह अगसत व 26 जनवरी को उनके परिवार वालों को सम्मान पत्र दें। उन्होंने कहा कि हम पंजाब सरकार से पंद्रह साल से मांग कर रहे है कि शरीरदानियों को मरणोपरांत शरीर मैडीकल कालेजों को भेजने के लिए 108 अैंबूलैंस व सिवल अस्पतालों को पत्र जारी करें। इसके ईलावा विधायकों व बिभिन्न जिलों के जिलाधीशों को हमारे पतिनिधिमंडल ज्ञापन दे चुके है। लेकि आज तक पंजाब सरकार ने कोई पत्र जारी नहीं किया। हम सेहत मंत्री से मांग करते है इस मामले को लेकर शीध्र पत्र जारी करें।
उन्होंने बताया कि हमारी संस्था ने कोशिश कर ड्राईविंग लाईसैंस बनवाने के समय फार्म में अंग दान करने को कालम शामिल करवा दिया है। सभ ड्राईविंग लाईसैंस बनवाने बालों को यह कालम जरूर भरना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेत्रदान करने के हम सभी को फार्म भरने चाहिए और अगर ना भी फार्म भरा हो तो भी मरणोंपरांत नेत्रदान किए जा सकते है। इसके लिए मरने वाले के शरीर को अस्पताल नहीं ले जाना पड़ता। हम उनके घर से कोर्नियां कुलैकट कर लेते है। परिवारों को सबंधित व्यकित की मौत के बाद आखों को गीले कपड़े से ढक्क कर रखना होगा और आखों में सीधी हवा नहीं लगनी चाहिए। पांच से छे घंटे तक आखें दान की जा सकती है। कोर्नियां टरांसप्लांट करवाने के लिए आधा दर्जन आखों के अस्पतालों के साथ टाईअप किया हुया है। ताकि कोर्नियां की जरूरत वाले को उसके निकट ही कोर्नियां टरांसप्लांट की सहुलियत उपलब्ध करवाई जा सके।
उन्होंने कहा कि अपील की कि किसी भी व्यक्ति दुारा दुारा दान किए दो कोर्नियां से दो लोगों की जिंदगी रोशन होती है। इसलिए आखें दान करने की लोगों में जागरूकता लहर पैदा करने की जरूरत है ताकि लोग ज्यादा से आखें दान करने के लिए आगे आए।