चंडीगढ। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को हिरासत में रहते हुए टीवी चैनल को इंटरव्यू दिए जाने के मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम आदेश पारित करते हुए पंजाब पुलिस को निर्देश दिया है कि वह इस दौरान की गई सुरक्षा व्यवस्थाओं की विस्तृत जानकारी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि यह स्पष्ट किया जाए कि हिरासत में रहते हुए बिश्नोई से कौन-कौन मिल सका, और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी कौन थे। इसके अतिरिक्त, राज्य पुलिस को यह भी आदेश दिया गया है कि वह विशेष जांच टीम द्वारा एकत्रित समस्त सामग्री को सीलबंद लिफाफे में अदालत के समक्ष पेश करे, जिसमें बर्खास्त डीएसपी गुरशेर सिंह संधू को नामित करने के ठोस प्रमाण हों।
जस्टिस आलोक जैन की पीठ ने दिया नोटिस
यह आदेश जस्टिस आलोक जैन की एकल पीठ ने सुनवाई के दौरान उस याचिका पर पारित किया जिसमें बर्खास्त पुलिस अधिकारी गुरशेर सिंह संधू ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर और जांच टीम द्वारा भेजे गए नोटिसों को रद्द किए जाने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि उन्हें जानबूझकर बलि का बकरा बनाया जा रहा है, जबकि एफआईआर में उनका नाम तक नहीं है। इसके बावजूद उन्हें जबरन इस प्रकरण में आरोपी के रूप में शामिल कर लिया गया है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि मई 21 और 23 को जारी किए गए नोटिस नंबर 108 को रद्द किया जाए और जांच एजेंसी को उनके विरुद्ध किसी प्रकार की कठोर कार्रवाई से रोका जाए।
लॉरेंस बिश्नोई को तीन स्तरीय सुरक्षा में रखा गया था
संधू की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि लॉरेंस बिश्नोई तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था में रखा गया था पहले एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स, फिर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप और अंत में सीआईए, जहां याचिकाकर्ता स्थानीय डीएसपी के रूप में तैनात थे। उनका कहना था कि चूंकि एजीटीएफ और एसओजी के अधिकारी याचिकाकर्ता के अधीन नहीं थे, इसलिए हिरासत में रखे गए बिश्नोई तक किसी बाहरी व्यक्ति को पहुंच देने का अधिकार याचिकाकर्ता के पास नहीं था।
राज्य सरकार की ओर से इस याचिका का विरोध करते हुए यह दलील दी गई कि संधू एसएएस नगर (मोहाली) में डीएसपी (डिटेक्टिव) के पद पर नियुक्त थे और उनकी पोस्टिंग के आधार पर वह सीआईए स्टाफ के पर्यवेक्षण अधिकारी थे। इसलिए उन्हें खरड़ स्थित उस परिसर तक न केवल पहुंच प्राप्त थी, बल्कि वे उसके संचालन के लिए भी जिम्मेदार थे, जहां लॉरेंस बिश्नोई को हिरासत में रखा गया था।
टीवी चैनल को दिया था इंटरव्यू
राज्य सरकार ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध ठोस और निर्णायक साक्ष्य मौजूद हैं, जिनके आधार पर उन्हें इस मामले में नामित किया गया है। अदालत को बताया गया कि एफआईआर पंजाब स्टेट क्राइम पुलिस स्टेशन, मोहाली में दर्ज की गई थी, जो कि उस साक्षात्कार से संबंधित है जिसमें बिश्नोई ने एक टीवी चैनल से बातचीत की थी। यह साक्षात्कार उस समय प्रसारित हुआ जब वह पुलिस रिमांड के तहत सीआइए खरड़ परिसर में था। अदालत की एक खंडपीठ के निर्देश के बाद यह मामला दर्ज किया गया था।
डीएसपी गुरशेर सिंह संधू को इस वर्ष 2 जनवरी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। अदालत ने अब इस मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई की तिथि 3 जुलाई निर्धारित की है, जिस दिन सीलबंद लिफाफे में जांच से जुड़ी रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी।