चंडीगढ़ :
पंजाब में वन विभाग की जमीन पर वृक्षों की अवैध कटाई के मामले में पूर्व मंत्री धर्मसोत की गिरफ्तारी के उपरांत चंडीगढ़ के आसपास वन विभाग व पंचायती जमीन की घपलेबाजी में विजिलैंस ब्यूरो ने दो पूर्व मंत्रियों को रडार पर ले लिया है और संभवत: उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जा सकता है।
जांच में यह बात सामने आई है कि करोड़ों रुपये की ढाई एकड़ जमीन सियासी नेताओं ने अधिकारियों के फार्म हाउसों के रुप में 50-50 हजार रुपये में लीज पर लिया था। डीएफओ के स्टिंग के उपरांत यह मामला मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया गया। दूसरी तरफ वीरवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान संकेत दे दिए हैं कि उनके पास भ्रष्ट नेताओं की सूची है और जल्द आरोपी व्यक्ति अंदर होंगे।
उपरोक्त घोटाले में जिन पूर्व मंत्रियों के नाम सामने आ रहे हैं उनमें पूर्व पंचायत मंत्री तृप्त राजेन्द्र सिंह बाजवा का नाम भी शामिल है, जिनके बारे में हाल ही में मौजूदा पंचायत मंत्री ने कई खुलासे किए हैं। एक अन्य मंत्री ने हाल ही में हाईकोर्ट में बलेंकेट बेल के लिए अर्जी दाखिल की है।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश की पिछली सरकार ने चंडीगढ़ के आसपास मोहाली जिले की वन एवं पंचायती जमीन, जिसकी बाजारी कीमत करोड़ों में है, को सिर्फ कुछ हजार रुपये में नेताओं, चहेते अधिकारियों तथा लोगों में बांट दिया। यह सारी जमीन पंचायत व वन विभाग की संपदा है।
यहह जमीन 33 साल की लीज पर ढाई एकड़ के फार्म हाउस के रुप में महज 50 हजार रुपये में अवैध रुप से अलाट की गई थी। दूसरी तरफ जिन नेताओं व अधिकारियों को यह जमीन अलाट की गई थी, उन्होंने नियमों को ताक पर रखते हुए अपने फार्म हाउस बना लिए, जबकि वन विभाग की जमीन में इस प्रकार के निर्माण हेतु कोई इजाजत नहीं है।
इस दौरान डीएफओ जिसका स्टिंग वायरल हो चुका है, ने भी खुलासा किया है कि यह वन विभाग व पंचायती जमीन हिमाचल प्रदेश की सीमा तक बांटी गई है, जबकि जंगलों के पहाड़ी क्षेत्रों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ कानून के तहत अपराध है। पता लगा है कि जिन सियासी नेताओं तथा लोगों को यह फार्म हाउस अलाट किए गए थे, उन्होंने संबंधित जमीन पर पेड़ भी बिना मंजूरी के काट दिए हैं।