वन गार्ड, फोरेसटर, रेंज अफसर आदि मुसतैदी से वनों की रक्षा कर रहे : डीएफओ हरभजन सिंह
गढ़शंकर । गढ़शंकर उपमंडल के एक दर्जन गावों के वन क्षेत्र में से गत तीन चार महीने में ही खैर, शीशम, कीकर सहित तमाम प्रजातियों के एक वर्ष के भीतर ही हजारों पेड वन माफिया़ अवैध तरीके से काट कर ले जा चुका है। लेकिन वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेग रही। डीएफओ कहते है कि हमारे कर्मचारी पूरी तरह वनों की रक्षा के लिए मुस्तैदी से जुटा हुया है। लेकिन वनों में पेड़ लगातार इस अमले फेलै के बावजूद लगातार खतम होते जा रहे है।
गांव बिल्ड़ो, बीरमपुर, कुनैल, नैनवां, हरवां व बारापुर सहित एक दर्जन से अधिक गावों में वन क्षेत्र हजारों एकड़ में फैला हुया है। वन माफिया दुारा वेशकीमती पेड़ खैर के ईलावा कीकर, शीशम, तुन, फलाही सहित तमाम तरह के पेड़ो को काट कर करोड़ो की कमाई कर रहा है। जिसके चलते वन क्षेत्र में पेड़ों की संख्यां नामात्र हो चुकी है। वन विभाग के अधिकारी हर बार वनों में पेड़ काटने के स्वाल पर कह देते है कि यहां से पेड़ काटे गए है तो कह देते है पता करते है कि कहां से काटे गए है। वह क्षेत्र डीलिसटिड होगा या उन्होंने प्रमिट लिया होगा। हालांकि डीलिसटिड क्षेत्र हर गांव में दस से सौ एकड़ तक़ है। लेकिन वनों में पेड़ लगातार कम होने पर किसी भी अधिकारी के पास कोई जबाव नहीं होता।
वन माफिया दुारा खैर य अन्य पेड़ काटने के लिए अपनाए जाते हथकंडे :
वन विभाग से कुछ पेड़ काटने का प्रमिट लेने वाले ठेकेदारों में से अधिकांश जितने पेड़ों का प्रमिट लेते है। उससे कहीं अधिक पेड़ काट कर लेते है। इसके ईलावा वन माफिया दुारा वन क्षेत्र से वन विभाग के कुछ कर्मचारियों व अन्य लोगो से मिलभुगत से वन विभाग की मंजूरी के बिना ही काट लिए जाते है। इसके ईलावा खैर माफिया दुारा गावों में से कुछ बेरुजगारों युवकों को भी चोरी खैर के पेड़ काटने में लगा लेते है। जिससे चलते उकत युवक ज्यादातर रात के अंधेरे में और सुवह के समय वनों में से खैर के पेड़ काटते है और फिर उनसे बारह से दो हजार रूपए प्रति किवंटल खैर की लकड़ खैर माफिया युवकों से खरीद कर आगे तेरह से चौदह हजार रूपए प्रति किवंटल आगे वेचते है। युवकों से खैर की लकड़ इकत्र करने के लिए वन विभाग की मंजूरी के वनों में डिपों खोल रखे है। वहां से खैर की लकड़ इकत्र कर आगे गाडिय़ों में लेकर जाते है।
लोक बचाओं पिंड बचाओं संघर्ष कमेटी के सक्रिया सदस्य पूर्व सरपंच दविंद्र सिंह : कंडी व बीत ईलाके के वनों में पेड़ तो नामात्र ही रह गए है। सरकार व वन विभाग के उच्चाधिकारियों को जांच करवानी चाहिए कि कितने पेड़ों को काटने के प्रमिट जारी हुए और कितने पेड़ काटे जा गए है। इसके ईलावा वनों में लगातार वन माफिया से पेड़ों को बचाने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
वन विभाग के डीएफओ हरभजन सिंह : बिभिन्न गावों में डीलिसटिड क्षेत्र में से ही पेड़ काटे गए है और गांव पेड़ काटने के प्रमिट दिया हुया है। हमारे वन गार्ड, फोरेसटर, रेंज अफसर आदि मुसतैदी से वनों की रक्षा कर रहे है। फिर भी पता करवा कर अगर कहीं अवैध तरीके से पेड़ काटे गए हुए तो जांच करवा कर कारवाई की जाएगी। लकिन वनों में पेड़ों की संख्यां लागतार कम होने का कारण क्या है और वनों में से हजारों पेड़ गायव कहां हो रहे पर कोई जबाव नहीं दिया।
131 : बिभिन्न गावों के वनों से काटे गए खैर के पेड़ो के नीचे के हिस्से और एक व्यक्ति दुारा चोरी खैर की लकड़ काट कर मोटरसाईकल पर ले जाने के लिए रखी हुई।