*प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में गुरु धारण करना चाहिए जो समय समय पर उसका मार्ग दर्शन करता रहे : आचार्य अरुण शर्मा
*गृहस्थ जीवन व्यतीत करते और अपने परिवार का पालन पोषण करते हुए भगवान का नाम सिमरन करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय बन जाता है/आचार्य अरुण शर्मा
धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों के प्रति लोगों की बढ़ती आस्था के बीच वरिष्ठ पत्रकार दलजीत अजनोहा ने प्रख्यात संत स्वामी अरुण शर्मा जी से विशेष बातचीत की। इस संवाद में उन्होंने समाज में धर्म और अध्यात्म के महत्व, धार्मिक आयोजनों की परंपरा तथा इनके सामाजिक प्रभाव पर विचार साझा किए।
स्वामी अरुण शर्मा जी ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, जहां परंपरागत रूप से हर वर्ष नवचंडी यज्ञ का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष महंत गुरु चरण दास जी की आज्ञा से देवी भागवत कथा का शुभारंभ किया गया है, जो राधा अष्टमी तक निरंतर जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि कथा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि समाज को एकजुट करने और जीवन में नैतिक मूल्यों को आत्मसात करने का माध्यम भी है। कथा स्थल पर भगवान के श्रवण, भजन-कीर्तन, प्रवचन और जागरण जैसे कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।
दलजीत अजनोहा के साथ बातचीत में स्वामी जी ने यह भी बताया कि आज के समय में ऐसे आयोजनों का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि ये न केवल लोगों को आस्था से जोड़ते हैं, बल्कि समाज में भाईचारा, प्रेम और शांति का संदेश भी देते हैं।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि धार्मिक आयोजनों के प्रचार-प्रसार से लोग अधिक जागरूक हुए हैं और जगह-जगह जाकर भक्तों से संवाद स्थापित करने से लोगों के बीच भक्ति-भाव और धार्मिक चेतना और गहरी हो रही है।
स्वामी अरुण शर्मा जी के विचारों को सुनकर यह स्पष्ट होता है कि ऐसे आयोजन समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और लोगों को जीवन के उच्च आदर्शों की ओर प्रेरित करते हैं।इस अवसर पर स्वामी शुभम जी एवं सागर पठानीया जी उपस्थित थे
