वास्तु के अनुसार झोपड़ी भी महल से बढ़कर है / डॉ. भूपेंद्र वास्तु शास्त्र
होशियारपुर/दलजीत अजनोहा/25 जुलाई
मनुष्य मूलतः एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए वह समाज या समूह में रहना पसंद करता है। आदिकाल में मनुष्य अपनी सुरक्षा के लिए गुफाओं का सहारा लेता था, गुफाओं से गुजरते हुए कच्चे निर्माण से धीरे-धीरे झोपड़ी तक पहुँचता था। वर्तमान में गढ़, हवेलियाँ, किले भी ऊँची इमारतों के आगे फीके पड़ने लगे हैं। यदि कोई आवासीय इकाई वास्तु नियमों के अनुसार बनाई गई हो, तो महल से भी अधिक शकुन झुग्गी-झोपड़ी में पाया जा सकता है, ऐसा अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त वास्तुकार और लेखक डॉ. भूपेंद्र वास्तुशास्त्री का मानना है। यदि हम अपने भवन में दिशा, आंतरिक इकाई और पंच तत्वों का उचित समायोजन करें, तो हमारा भवन हमारे भविष्य का प्रणेता बनकर हमारे लिए वरदान साबित हो सकता है! झोपड़ियाँ भी महल जैसी जीवनशैली प्रदान कर सकती हैं।
आकाश, पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि इन पंच तत्वों से निर्मित हैं और हमने इन्हीं तत्वों से अपने भवन का निर्माण किया है।
आकाश तत्व को संतुलित करके सुनने की शक्ति को बढ़ावा देता है, जिससे व्यक्ति धैर्यवान, गंभीर और शांत रहता है।
पृथ्वी तत्व को संतुलित करके हम अपने जीवन में स्थिरता और सुरक्षा की भावना पैदा कर सकते हैं।
जल तत्व को संतुलित करके हम अपने व्यवसाय को बढ़ावा दे सकते हैं और धन में वृद्धि कर सकते हैं।
अग्नि तत्व को संतुलित करके हम अपने जीवन और संपत्ति की रक्षा कर सकते हैं।
वायु तत्व को संतुलित करके हम अपने सम्मान और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ा सकते हैं!
यदि किसी भी भवन में पंच तत्वों का सही संतुलन है, तो वहाँ रहने वाले लोग उन्नति और सुख के मार्ग पर निरन्तर बढ़ते रहेंगे और शांति और सुकून भरे जीवन का आनंद भी उठाएँगे।