एएम नाथ । मंडी : हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। उनकी मां और राज्य पार्टी प्रमुख प्रतिभा सिंह ने शनिवार को यह ऐलान किया। विक्रमादित्य सिंह के कांग्रेस के उम्मीदवार बनने के साथ ही इस सीट पर अब अभिनेत्री कंगना रनौत से उनका मुकाबला होगा। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा, “हमने जो 2-3 नाम शॉर्टलिस्ट किए थे, उन पर चर्चा हुई है। हमारे सभी वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इस बार किसी युवा नेता को (मंडी से) मैदान में उतारा जाना चाहिए। विक्रमादित्य सिंह के नाम पर सहमति हुई है, हालांकि इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अंतिम निर्णय लेंगे।
हिमाचल प्रदेश सीईसी की बैठक पर कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला का कहना है। बैठक में हमने चर्चा की कि हिमाचल प्रदेश की सभी 4 सीटों पर कैसे जीत हासिल की जाए। हमने दो सीटों पर उम्मीदवार तय कर लिए हैं। बाकी दो सीटों पर चर्चा जारी रहेगी। दूसरी ओर, अपने बेटे की उम्मीदवारी के बारे में बात करते हुए प्रतिभा सिंह ने कहा कि मंडी के लोग हमेशा उनके साथ रहे हैं। मंडी से मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह इस सीट से तीन बार जीत चुकी हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें विक्रमादित्य के खिलाफ कंगना रनौत द्वारा की जा रही टिप्पणियों की परवाह नहीं है और उन्होंने कहा कि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी सीट जीती है।
कंगना के खिलाफ कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की शिकायत : इस बीच, कंगना रनौत ने गुरुवार को विक्रमादित्य सिंह की आलोचना करते हुए कहा कि वह उन्हें धमकी देकर वापस नहीं भेज सकते, क्योंकि यह उनके पूर्वजों की संपत्ति नहीं है। दूसरी ओर, बीजेपी उम्मीदवार कंगना रनौत के खिलाफ कांग्रेस ने चुनाव आयोग को शिकायत की है. दरअसल 11 अप्रैल को मनाली में एक जनसभा के दौरान कंगना रनौत ने कांग्रेस नेता और हिमाचल के पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह पर तीखे हमले बोले थे और उन्हें अपने भाषण में “शराब के नशे में धुत रहने वाला, राजा बाबू, छोटा पप्पू और राजा साहब” जैसे शब्दों के साथ पुकारा था।.इसी बात पर कांग्रेस ने कंगना रनौत की स्पीच को आपत्तिजनक बताते हुए इसे मॉडल कोड आफ कंडक्ट का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग को शिकायत दी है, जिसके बाद राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने कल्लू डीसी से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है।
विक्रमादित्य की उम्मीदवारी से अंतरकलह पर लगाम : बता दें कि प्रतिभा सिंह ने पहले ही चुनावी दौड़ से बाहर होने के अपने फैसले की घोषणा कर दी थी। पार्टी उम्मीद कर रही है कि विक्रमादित्य सिंह की उम्मीदवारी राज्य इकाई में दरार को पाटने में सक्षम होगी, जो हाल के राज्यसभा चुनाव में सत्ता पक्ष के छह विधायकों द्वारा क्रॉस-वोटिंग के कारण कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार अभिषेक एम. सिंघवी की हार के बाद तेज हो गई है। कांग्रेस ने विद्रोहियों पर सख्ती की और विधानसभा में बजट पारित होने के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप का उल्लंघन करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। हालांकि, पार्टी के भीतर मतभेद स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे थे। विक्रमादित्य और उनकी मां प्रतिभा सिंह ने राज्यसभा की विफलता के लिए मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया था. उन्होंने सुक्खू सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था, लेकिन फिर पार्टी हाईकमान के दबाव में इसे वापस ले लिया था।