एएम नाथ। शिमला : हिमाचल प्रदेश इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इस बीच, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दो योजनाओं के लिए मंदिरों से वित्तीय सहायता मांगी है। उन्होंने मंदिरों में आने वाले चढ़ावे से पैसे मांगे हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के अधीन सभी मंदिरों और उनका प्रबंधन करने वाले स्थानीय डीसी को पत्र लिखकर उनसे इन दोनों सरकारी योजनाओं के लिए दान में से धनराशि देने का अनुरोध किया है।
इन दो सरकारी योजनाओं में से पहली का नाम मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना और मुख्यमंत्री सुखआश्रय योजना है। आइए जानते हैं मुख्यमंत्री किन योजनाओं के लिए मंदिरों से मदद मांग रहे हैं।
मुख्यमंत्री कल्याण योजना
मुख्यमंत्री सुखआश्रय योजना के तहत राज्य सरकार अनाथ एवं परित्यक्त बच्चों की मदद करती है। सरकार ने पहले इस योजना के तहत 6,000 बच्चों को गोद लिया था। हालाँकि, हाल ही में इस योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है। जहां पहले इस योजना के तहत 6 हजार अनाथ बच्चों की मदद की गई थी। अब इस योजना में परित्यक्त बच्चों को भी शामिल कर लिया गया है।
इस योजना के तहत 14 वर्ष तक के बच्चों को 1,000 रुपये प्रति माह तथा 18 वर्ष तक के युवाओं को 2,500 रुपये प्रति माह प्रदान करने की घोषणा की गई। शिक्षा, व्यवसाय और स्टार्ट-अप के लिए 2 लाख रुपये तक दान देने का भी प्रावधान है। इसके साथ ही घर बनाने के लिए 3 लाख रुपये और शादी के लिए 2 लाख रुपये तक की सहायता देने की घोषणा की गई है।
मुख्यमंत्री खुशहाली शिक्षा योजना
मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना का मुख्य उद्देश्य दो विशिष्ट आयु समूहों की सहायता करना है। इस योजना के अंतर्गत पात्र महिलाओं और दिव्यांग अभिभावकों को 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण संबंधी खर्चों को पूरा करने के लिए 1000 रुपये की मासिक सहायता प्रदान करने का प्रावधान है। इसके अलावा, इसमें स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्रों को ट्यूशन और छात्रावास सहायता प्रदान करने का विकल्प भी शामिल है।
सरकार ने गरीब अभिभावकों के बच्चों को उच्च शिक्षा और आजीविका उपलब्ध कराने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी, लेकिन अब आर्थिक तंगी से जूझ रही सरकार को इस योजना के लिए धन जुटाने में दिक्कत आ रही है और सरकार वित्तीय संकट में है। जिसके तहत अब वह मंदिरों से मदद मांग रही हैं।