रोहित राणा। शिमला : नालागढ़ जिला सोलन में कायदे कानून को ताक पर रख कर चलाए जा रहे स्टोन क्रशरों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ी कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को स्वयं क्षेत्र में स्थापित स्टोन क्रशरों का निरीक्षण करने और उन स्टोन क्रशरों की मशीनरी को जब्त व परिसर को सील करने के आदेश दिए जिन्होंने जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण सोलन की 13 दिसंबर 2023 की रिपोर्ट में बताई खामियों को पूरा नहीं किया है।
कोर्ट ने डीसी सोलन और एसपी बद्दी को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को उपरोक्त कार्रवाई के दौरान उचित सहायता प्रदान करने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने यह आदेश हंदूर पर्यावरण मित्र संस्था द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के पश्चात जारी किए।
इस मामले में प्रार्थी ने राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित 13 स्टोन क्रेशरों को प्रतिवादी बनाया है। प्रार्थी संस्था ने नालागढ़ क्षेत्र में अवैध तरीके से खनन और नियमों की उल्लंघना कर रहे क्रेशरों पर कार्रवाई की मांग की है। संस्था का कहना है कि नालागढ़ एरिया में क्रेशर मालिकों द्वारा माइनिंग लीज की आड़ में अवैध माइनिंग को रोकने और हवा, पानी के प्रदूषण को रोकने के लिए मुख्यमंत्री सहित संबंधित अधिकारियों को शिकायत पत्र सौंपे परंतु किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि जिन टिप्परों में 15 टन माइनिंग माल दर्शाया जाता है उनमें अकसर 30 से 35 टन माल ढुलाई होती है। इससे सरकार को प्रति टिप्पर हजारों रुपए का नुकसान होता है। जब अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो वे स्टोन क्रशर मालिकों की पैरवी करने लगते है जिससे प्रतीत होता है कि वे सरकार के लिए नहीं बल्कि स्टोन क्रशर मालिकों के लिए काम कर रहे हों। नियमों को दरकिनार कर नदियों में बड़े बड़े गड्ढे डाले जा रहे हैं। 6 महीने तक अवैध तरीके से एक स्टोन क्रशर ने बिना अनुमति करोड़ों कमाए और खनन विभाग ने इस पर मात्र 50 हजार ऱपए का जुर्माना किया। आरोप है कि इन स्टोन क्रेशर मालिकों के खिलाफ केवल दिखावे की कार्रवाई होती है। शिकायत में कहा गया है कि पंजेहरा के साथ लगते गांव नवग्राम में बहुत से स्टोन क्रशर अवैध रूप से चल रहे हैं। आरोप है कि ग्राम पंचायत जगतपुर, जोघों रिया व गांव ढला-थां के लोगों की जमीनें नदी के दोनों किनारे पर हैं और खेती करने के लिए नदी से होकर आना-जाना पड़ता है लेकिन नदी में 20/20 फुट गहरे सैकड़ों गड्ढे खनन करके खोद दिए गए हैं।