चंडीगढ़, 15 दिसंबर : सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर निर्माण को लेकर पंजाब व हरियाणा के बीच चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत केंद्र सरकार ने दोनों राज्यों के बीच चल रहे विवाद को निपटाने के लिए गंभीर हस्तक्षेप किया है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने चंडीगढ़ में ‘राउंड टेबल’ मीटिंग तय की है। 28 दिसंबर को होने वाली बैठक में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान मौजूद रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में इस मुद्दे पर कड़ा नोटिस लिया है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही नहर निर्माण का आदेश दे चुका है। अगले महीने सुप्रीम कोर्ट इस केस को लेकर फिर सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार की टीम द्वारा सर्वे भी किया जाना था, लेकिन वह अभी तक नहीं हुआ है। इस बीच, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक तय हो गई है। इनमें केंद्र के अलावा दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में मौजूद रहेंगे।
गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा की गई इस पहल से हरियाणा को काफी उम्मीदें हैं। बड़ी बात यह है कि फिलहाल विवाद पानी का नहीं बल्कि नहर निर्माण को लेकर है। पंजाब सरकार की ओर से हर बार यह कहा गया है कि उसके पास दूसरे राज्य को देने के लिए एक बूंद भी पानी नहीं है। वहीं हरियाणा हर बार यही बात कहता आया है कि पहले नहर का निर्माण करवाया जाए। पानी की हम बात ही नहीं कर रहे। पानी के लिए ट्रिब्यूनल को फैसला करना है। ट्रिब्यूनल का फैसला 2026 में आने की उम्मीद है। ट्रिब्यूनल सभी राज्यों की जरूरतों और पक्षों के हिसाब से बंटवारा करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया था वार्ता का मौका : सुप्रीम कोर्ट ने करीब दो माह पहले पंजाब और हरियाणा को आपसी बातचीत के लिए आखिरी मौका दिया था। हालांकि उस समय सुप्रीम कोर्ट की तारीख से ठीक एक दिन पहले पंजाब के सीएम ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बैठक करने का आग्रह किया था। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए दो-टूक कहा था कि नहर निर्माण और जल वितरण अलग-अलग मुद्दे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे के लिए केंद्र से आने वाले अधिकारियों को पंजाब सरकार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है। राजस्थान सरकार ने भी कहा कि पंजाब सरकार का रुख इस दिशा में आगे बढ़ने के जैसा नहीं लग रहा है। हरियाणा व पंजाब के बीच इससे पहले अक्तूबर 2022 में संयुक्त बैठक हुई थी। इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री ने एसवाईएल नहर के निर्माण से पल्ला झाड़ लिया था। इसके बाद 4 जनवरी, 2023 को केंद्र के हस्तक्षेप के बाद दोबारा दोनों राज्यों के बीच बातचीत शुरू हुई।
नहर का निर्माण करे पंजाब : सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई बीती 4 अक्तूबर को थी। बहरहाल, अब दोनों राज्यों के बीच 28 दिसंबर को बैठक होने जा रही है। बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का प्रयास रहेगा कि पंजाब नहर निर्माण के लिए राजी हो। बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ में मीडिया से बातचीत में सीएम मनोहर लाल ने इस बैठक की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि पानी की उपलब्धता अलग विषय है, इसे नहर निर्माण के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। पंजाब को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए नहर का निर्माण करना चाहिए।