चंडीगढ़ : गैगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के हिरासत में इंटरव्यू मामले की जांच के लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने एसआईटी बना दी है। पंजाब सरकार ने इसके लिए अफसरों की लिस्ट कोर्ट को सौंपी थी। एसआईटी में डीजीपी ह्यूमन राइट्स प्रबोध कुमार के अलावा एआईजी डॉ. एस राहुल और नीलांबरी जगदाले को शामिल किया गया है।
हाईकोर्ट ने पंजाब के डीजीपी को आदेश दिए हैं कि वे तत्काल इस मामले में एफआईआर दर्ज करें ताकि नई एसआईटी इस मामले की जांच शुरू कर दे। कोर्ट ने कहा कि अभिवक्ति की स्वतंत्रता चाहे मौलिक अधिकार है, लेकिन इससे सामाजिक व्यवस्था का हनन नहीं होना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत निष्पक्ष प्रेस और सूचना के जरिए जागरूक किया जाना लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी है लेकिन यह स्वतंत्रता अंतिम नही है।
इस मामले में हाईकोर्ट को सहयोग दे रही एडवोकेट तनु बेदी ने कहा कि इस इंटरव्यू को देख कर कई युवा इस तरह की पोस्ट कर रहे हैं, एक तरह से लॉरेंस बिश्नोई को महिमामंडित किया जा रहा है।इंटरव्यू में लॉरेंस इन हत्याओं को सही बता रहा है। इंटरव्यू ने जेल सिस्टम की पोल खोली है।
हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब बॉर्डर स्टेट है, यहां की कानून व्यवस्था का राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इस इंटरव्यू को साइट से हटाया जाए। साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि अगर जेलों में बॉडी स्कैनर्स सही तरीके से काम करें और जेल की दीवारों को ऊंचा कर दिया जाए तो इससे भी काफी फर्क पड़ सकता है। जेलों में जैमर पूरी तरह से नहीं लगाने पर हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई और कहा कि कब तक आप अपनी जिम्मेदारी से भागेंगे।
सीसीटीवी फुटेज में ऑडियो रिकॉर्डिंग तक नहीं होने पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए। हाईकोर्ट को बताया गया कि सीसीटीवी कैमरे 11 करोड़ की लागत से आएंगे। इस पर हाईकोर्ट ने तत्काल बॉडी स्कैनर, सीसीटीवी और जैमर लगाए जाने के आदेश दिए हैं।