हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में स्थाई नियुक्तियों की जरूरत – हाईकोर्ट ने आउटसोर्स भर्तियों पर लगी रोक हटाने के लिए दायर अर्जी पर टिप्पणी करते हुए कहा

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एएम नाथ। शिमला : हिमाचल हाईकोर्ट ने आउटसोर्स भर्तियों पर लगी रोक हटाने के लिए दायर अर्जी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में स्थायी नियुक्तियों की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सरकार से पूछा कि स्थायी नियुक्तियों का खाका कहां पर है।

अदालत ने कहा कि अगर किसी अस्थायी या अनुबंध कर्मचारी के साथ काम करते हुए कुछ अनहोनी हो गई तो जिम्मेदारी किसकी होगी। अगर सरकार ने नर्सों की स्थायी नियुक्ति के लिए पद विज्ञापित किए हैं तो उस पर अदालत को बताएं। मामले में अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।
अदालत में सरकार की ओर से अर्जी लगाई कि स्वास्थ्य महकमे में नर्सों की तत्काल आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग बिना नर्सों के नहीं चल सकता है। हिमाचल सरकार ने भारत सरकार के ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत नर्सों के 28 पदों की भर्तियों के लिए विज्ञापन निकाले हैं। महाधिवक्ता ने बताया कि अदालत के आदेशों की अनुपालना करते हुए आउटसोर्स भर्तियों की प्रक्रिया के लिए सरकार की ओर से कमेटी का गठन कर दिया गया है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने 7 नवंबर को इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन की भर्तियों पर रोक लगा रखी है। अदालत ने सरकार को आउटसोर्स भर्तियों की प्रक्रिया में कैसे पारदर्शिता लाई जाए इस पर विचार करने को कहा था। साथ ही अदालत ने भर्तियां करने वाली कंपनियों और उम्मीदवारों का सारा डाटा बेवसाइट पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सरकार की ओर से दायर अर्जी पर आपत्ति जताई है। सरकार इन पदों को भी आउटसोर्स और अनुबंध पर भर रही है, जबकि नर्सों के 600 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। रेगुलर नेचर वाले काम को आउटसोर्स नहीं किया जा सकता और नर्सों का काम स्थायी है, न कि अस्थायी। ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन आउटसोर्स और कॉन्ट्रैक्ट पदोंं पर स्पष्ट नहीं है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाए कि प्रदेश में करीब 110 कंपनियां फर्जी पाई गई हैं। भर्तियों की प्रक्रिया के लिए कोई नियम नहीं बनाए गए हैं। केंद्र की पॉलिसी के तहत केवल चतुर्थ श्रेणी के पदों को ही आउटसोर्स किया जाता है, जबकि हिमाचल में तृतीय श्रेणी को भी आउटसोर्स पर किया जा रहा है।
उद्योगों को एक रुपये सब्सिडी बंद करने के मामले में फैसला सुरक्षित
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने वीरवार को उद्योगों को 1 रुपये मिलने वाली सब्सिडी को बंद करने के मामले में फैसला सुरक्षित रख दिया है। मामले की सुनवाई 4 घंटे तक चली। उद्योगों की ओर से सेवानिवृत्त जज व वरिष्ठ अधिवक्ता एस मुरलीधर पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य विद्युत विनियामक आयोग ने बिना सोचे-समझे ही राज्य सरकार की ओर से जारी सब्सिडी बंद करने की अधिसूचना को लागू कर दिया। सरकार के इस फैसले से प्रदेश में कार्यरत करीब 200 कंपनियां प्रभावित हुई हैं।
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