एएम नाथ। शिमला : हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में गुरुवार को गेस्ट टीचर पॉलिसी को मंजूरी दी गई है। इस पॉलिसी को मंजूरी देने के बाद राज्य सरकार अब घिरती हुई नजर आ रही है।मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से लिए गए इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है. बेरोजगार युवा सड़कों पर उतर आए। जहां एक तरफ छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और एसएफआई गेस्ट टीचर पॉलिसी का विरोध कर रहा है तो वहीं अब एनएसयूआई भी इसके विरोध में उतर आई है. एनएसयूआई कांग्रेस पार्टी का ही छात्र संगठन है. ऐसे में एनएसयूआई के विरोध से एक बार फिर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में एनएसयूआई की राज्य इकाई के अध्यक्ष टोनी ठाकुर ने कहा कि वह गेस्ट टीचर पॉलिसी का विरोध करते हैं। जिस तरह सेना में अग्निवीर की भर्ती है. इसी तरह यह शिक्षा विभाग में शिक्षावीर भर्ती करने जैसा है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग उठाई है कि कमीशन के आधार पर ही युवाओं को भर्ती किया जाए। गेस्ट टीचर पॉलिसी अस्थाई रोजगार को बढ़ावा देने वाला है। उन्होंने कहा कि युवाओं को कांग्रेस सरकार से कई अपेक्षाएं हैं।
युवा बेहद उम्मीद के साथ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ देख रहा है। उन्होंने कहा कि एनएसयूआई कार्यकर्ता अपने आसपास के नेताओं से मुलाकात करेंगे और यह मांग उठाएंगे की गेस्ट टीचर पॉलिसी को वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने प्यार से उनकी बात नहीं मानी, तो छात्र हित में वह कदम उठाए जाएंगे जिसके लिए युवा साथी कहेंगे।
गेस्ट टीचर पॉलिसी पर CM सुक्खू ने क्या कहा : जिला शिमला के दूरदराज इलाके कुपवी में शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “प्रदेश सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी. शिक्षा का आधारभूत ढांचा सुदृढ़ किया जाएगा। स्कूलों में अध्यापकों की कमी होने पर प्रति घंटा के आधार पर अध्यापकों की सेवाएं ली जाएगी, जब तक कि स्कूल में नियमित अध्यापक तैनात नहीं किए जाते। इसके लिए प्रधानाचार्यों को अधिकृत किया जाएगा. हम व्यवस्था परिवर्तन से कार्य कर रहे हैं, क्योंकि बदलाव प्रकृति का नियम है। बदलाव यदि जनहित हो, तो वह सर्वोपरि होता है. प्रदेश सरकार द्वेष की भावना से नहीं, बल्कि जनसेवा की भावना से कार्य कर रही है।