एएम नाथ। धर्मशाला : हिमाचल प्रदेश सरकार ने कांगड़ा जिला के वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. राजेश शर्मा को प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है।
शनिवार को शिक्षा सचिव की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई, जिसके बाद कांग्रेस संगठन के साथ-साथ कांगड़ा जिला में भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस नियुक्ति को कांगड़ा की राजनीतिक संतुलन साधने की एक अहम कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
डॉ. राजेश शर्मा कांग्रेस के एक निष्ठावान कार्यकर्ता रहे हैं और वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं।
वह 2022 के विधानसभा चुनाव में देहरा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि बाद में 2024 में देहरा में हुए उपचुनाव में अंतिम समय में टिकट मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर को दे दिया गया था।
इसके बावजूद उन्होंने पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा रखते हुए चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाई और पार्टी प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने में सहयोग दिया। हालांकि तब टिकट कटने पर उनकी नाराजगी भी सामने आई थी और वो अपने समर्थकों के सामने रो भी पड़े थे।
राजनीतिक हलकों में यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान और मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा डॉ. शर्मा की इस निष्ठा और सेवाभाव को सम्मान देने के लिए यह नियुक्ति की गई है।
यह फैसला न सिर्फ डॉ. शर्मा की संगठन में पकड़ को दर्शाता है, बल्कि कांगड़ा जिले को फिर से राजनीतिक रूप से महत्व देने की सरक रणनीति का भी हिस्सा माना जा रहा है।
कांग्रेस के लिए कांगड़ा एक बड़ा सियासी आधार रहा है और देहरा उपचुनाव के दौरान जिस तरह से डॉ. शर्मा ने पार्टी के साथ खड़े रहकर कार्य किया, उससे स्पष्ट संकेत मिले थे कि सरकार उन्हें भविष्य में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।
डॉ. शर्मा इससे पहले प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता और प्रोफेशनल कांग्रेस के हिमाचल चैप्टर के चेयरमैन भी रह चुके हैं। उन्होंने लंबे समय तक कांग्रेस के संगठनात्मक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाई है।
स्कूल शिक्षा बोर्ड का चेयरमैन पद पिछले करीब ढाई वर्षों से रिक्त चल रहा था, जिसे अब कांग्रेस संगठन के सक्रिय कार्यकर्ता के माध्यम से भरे जाने से कार्यकर्ताओं में भी उत्साह देखने को मिल रहा है। फिलहाल यह अतिरिक्त दायित्व कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा संभाल रहे थे।
मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा एक बार फिर कांगड़ा को प्रतिनिधित्व देकर यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि पार्टी संगठन में सक्रियता और निष्ठा का उचित सम्मान किया जाएगा। कांगड़ा की यह राजनीतिक नियुक्ति आने वाले समय में क्षेत्रीय संतुलन की दृष्टि से भी अहम मानी जा रही है।