एएम नाथ। चम्बा : राजकीय महाविद्यालय सलूणी में आज “संकल्प स्मरण दिवस” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. मोहिंदर कुमार सलारिया, ने अपने विचार रखते हुए भारत की राष्ट्रीय अखंडता, हिमालय की पवित्र धरोहर और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समाज को जागरूक करने का आह्वान किया।

डॉ. सलारिया ने कहा कि संकल्प स्मरण दिवस केवल ऐतिहासिक घटनाओं की याद नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और सीमाओं की सुरक्षा के संकल्प को पुनर्जीवित करने का अवसर है। उन्होंने 14 नवंबर 1962 और 22 फरवरी 1994 के संसद संकल्पों को दोहराते हुए कहा कि भारत अपनी हर इंच भूमि की रक्षा के प्रति सदैव प्रतिबद्ध है।
उन्होंने हिमालय को भारतीय सभ्यता की आत्मा बताते हुए कहा कि इसकी रक्षा न केवल पर्यावरणीय आवश्यकता है, बल्कि यह राष्ट्रधर्म का अनिवार्य अंग है। इस संदेश को जन-जन तक पहुँचाने और विशेष रूप से युवाओं में राष्ट्र और पर्यावरण दोनों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए लगातार कार्य करना अति आवश्यक है।
डॉ. सलारिया ने युवाओं से कहा कि “हिमालय का संरक्षण आपकी पीढ़ी की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। जलवायु परिवर्तन, वनों का क्षरण और असंतुलित विकास हिमालय के अस्तित्व को चुनौती दे रहे हैं। यदि आज के युवा जागृत, सक्रिय और प्रतिबद्ध होकर आगे आएँ, तो हिमालय सुरक्षित रहेगा, भारत सुरक्षित रहेगा। हर युवा एक पेड़ लगाकर, जल स्रोतों की रक्षा कर, प्लास्टिक मुक्त में भाग लेकर और अपनी संस्कृति को संरक्षित रखकर ‘हिमालय प्रहरी’ बन सकता है।”
उन्होंने कहा कि हिमालय की सुरक्षा केवल सरकारों की नहीं, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी से संभव है, और इस दिशा में युवाओं की भूमिका सबसे निर्णायक है।
