चंडीगढ़: पंजाब के करीब 11 लाख राशन कार्ड धारकों के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। केंद्र सरकार ने इन लाभार्थियों को अपात्र घोषित करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि इनका नाम राशन कार्ड सूची से 30 सितंबर 2025 तक हटा दिया जाए।
यदि ऐसा हुआ, तो इन परिवारों को मिलने वाला मुफ्त गेहूं और अन्य खाद्यान्न पूरी तरह बंद हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा इन लाभार्थियों पर आपत्ति इसलिए जताई गई है क्योंकि जांच में सामने आया है कि ये लोग आयकरदाता हैं, उनके पास 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि है, या वे निजी वाहनों के स्वामी हैं। ये शर्तें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत पात्रता मानकों का उल्लंघन करती हैं।
देशभर में ऐसे 8 करोड़ से अधिक “संदिग्ध लाभार्थी” चिह्नित किए गए हैं, जिनमें से 11 लाख अकेले पंजाब से हैं। केंद्र का कहना है कि अपात्र लोगों द्वारा मुफ्त राशन लेने से वास्तविक जरूरतमंदों का हक मारा जा रहा है।
राज्य सरकार ने केंद्र से 6 महीने की मोहलत मांगी: पंजाब सरकार ने इस आदेश पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र से 6 महीने की मोहलत मांगी है। सरकार का कहना है कि 1 अक्टूबर से प्रदेश में धान खरीद का सीजन शुरू हो रहा है और खाद्य आपूर्ति विभाग का अधिकांश स्टाफ उसी में व्यस्त रहेगा, ऐसे में इतने बड़े स्तर पर जांच और सूची संशोधन कर पाना संभव नहीं होगा।
इसके साथ ही राज्य सरकार ने केंद्र से उन सभी 11 लाख संदिग्ध कार्ड धारकों का विस्तृत डेटा साझा करने की भी मांग की है, जिससे निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जा सके।
जनता में चिंता, फैसले का हो रहा विरोध
इस खबर के सामने आने के बाद ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में राशन कार्ड धारकों के बीच बेचैनी का माहौल है। कई लोगों ने इस फैसले को “जनविरोधी” बताते हुए विरोध जताया है। कुछ सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस प्रक्रिया में कई वास्तविक लाभार्थी भी चपेट में आ सकते हैं, जिससे गरीब वर्ग के सामने खाद्य संकट खड़ा हो सकता है।