एएम नाथ। शिमला : हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब चल रही है और अब कर्ज की सीमा एक लाख करोड़ रुपये पार कर गई है. सूबे का कर्ज का आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये पार होने पर अब सुक्खू सरकार ने भी प्रतिक्रिया दी है।
सुक्खू कैबिनेट के मंत्री राजेश धर्माणी ने शिमला में बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरे मामले को लेकर तथ्य रखे और कहा कि विपक्ष इस मामले में भ्रामक प्रचार कर रहा है और इसी वजह से वह सरकार का पक्ष रख रहे हैं. गौरतलब है कि हिमाच प्रदेश पर अब करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये कर्ज हो गया है.
कैबिनेट मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि भाजपा हिमाचल सरकार की वित्तीय स्थिति को लेकर लगातार दुष्प्रचार कर रही है, जबकि भाजपा सरकार 75 हजार करोड़ कर्ज छोड़कर गई थी. इसके अलावा, लगभग दस हज़ार करोड़ कर्मचारियों की देनदारियां थी. मंत्री नेक हा कि सुक्खू सरकार ने दिसम्बर 2022 से 24 तक दो साल में 30 हज़ार 80 करोड़ क़र्ज़ लिया, जिसमें से 9337 करोड़ भाजपा की देनदारियां थी. इस दौरान सुक्खू सरकार ने 11,590 करोड़ रुपये क़र्ज़ लौटाया है.
राजेश धर्माणी ने कहा कि सुक्खू सरकार ने एक साल में 2631 करोड़ का राजस्व अर्जित किया और भाजपा सरकार ने अपने अंतिम साल में जो मुफ़्त की रेवड़ियां बांटी थी, उससे प्रदेश की वित्तीय स्थिति बिगड़ी है. मंत्री धर्माणी ने कहा कि केंद्र सरकार ने हमारी ग्रांट को कम कर दिया है. पहले यह 10 हजार करोड़ रुपये के करीब थी और अब यह ग्रांट 65 फीसदी कम कर दी गई है. धर्माणी ने कहा कि हर महीने सरकार 2800 करोड़ सैलरी-पेंशन देने में खर्च करती है. साथ ही 60 करोड़ एचआरटीसीको ग्रांट के रूप में दिए जाते हैं. साथ ही इस वर्ष 2200 करोड़ सरकार बिजली बोर्ड को भी दिए गए हैं. धर्माणी ने कहा कि एनपीएस का 9 हज़ार करोड़ रुपये केंद्र के पास है और एनपीएस की वजह से कर्ज की सीमा में भी 1600 करोड़ की कटौती कर दी गई.
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश पर 2017 में 48 हजार करोड़ रुपये कर्ज था. बाद में जयराम सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में 30 हजार करोड़ रुपये करीब कर्ज लिया. लेकिन सुक्खू सरकार ने दो साल में 30 हजार करोड़ रुपये कर्ज ले लिया है. हिमाचल प्रदेश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति के बीच सरकार पर सवाल उठ रहे हैं।