हिमाचल प्रदेश में चिट्टा समेत अन्य नशा पहुंचा रहे माफिया की कमर तोड़ने के लिए सरकार एक्शन मोड में आ गई है। एनडीपीएस से संबंधित मामलों की जांच के लिए प्रदेश के तीन जिलों में अलग से एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) थाने होंगे। गृह विभाग ने नियम तैयार करने के बाद फाइल विधि विभाग को मंजूरी के लिए भेज दी है।
पहले चरण में धर्मशाला और परवाणू में यह थाने खुलेंगे। इसमें चिट्टा सहित अन्य नशीले पदार्थों से संबंधित मामलों की जांच होगी। आईजी और डीआईजी के नेतृत्व में इन थानों को खोला जाएगा। हिमाचल प्रदेश में चिट्टा गांव-गांव तक पहुंच गया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए गृह विभाग को तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हिमाचल प्रदेश में दूसरे राज्यों से बड़ी मात्रा में चिट्टे की तस्करी हो रही है। पिछले कुछ वर्षों में नशे की तस्करी कई गुना बढ़ी है। यही वजह है कि जिला शिमला समेत प्रदेश में बड़ी संख्या में युवा नशे की चपेट में आ गए हैं।
दूसरे राज्यों का मास्टमाइंड पुलिस गिरफ्त से बाहर
हालांकि, पुलिस विभाग लगातार नशा तस्करों को गिरफ्तार कर रहा है और इसे लेकर प्रदेश व जिला स्तर पर भी अभियान चलाया गया है, लेकिन दूसरे राज्यों में बैठे नशा तस्करी के मास्टरमाइंड अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। इस वजह से प्रदेश में नशा तस्करी का यह नेटवर्क टूटने का नाम नहीं ले रहा
है। इसके अलावा हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के तस्करों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
नशे के साथ गिरफ्तार आरोपियों से मिली सूचना के आधार पर पुलिस चिट्टा तस्करी के मुख्य सरगनाओं को पकड़ने के लिए दूसरे राज्यों में भी दबिश देती है, लेकिन उनके खिलाफ बड़ी कामयाबी नहीं मिल पाई है। यह वजह है कि चिट्टा तस्करी का यह नेटवर्क वर्षों से फलफूल रहा है। यह नशा इतना खतरनाक है कि आए दिन नशे की ओवरडोज से युवाओं की जान जा रही है।