.होशियारपुर/ दलजीत अजनोहा : चर्चित मुद्दों को शब्दों में परोसकर नए वर्ष के वधाई कार्ड के रूप में पेश करने वाले शायर रघुवीर सिंह टेरकियाना ने इस बार भी देश की सियासी हालत पर तीखा तंज कसा है । 50 वर्ष के निरंतर यह वधाई कार्ड वितरण कर रहे रघुवीर सिंह बताते है कि वह हर वर्ष 5 हजार के करीब कार्ड छपवाकर अपने जानने वालों, अधिकारियों और नेताओं सहित अन्य कई गणमान्य लोगों को भेजते हैं । सिस्टम की बुराई करने पर चोट करने वाले टेरकियाना के कई प्रशंसक खुद कार्ड आकर ले जाते है। समय के साथ अपनी रिहायश बदलने वाले नेता- अधिकारी पत्र या फोन के माध्यम से अपने नए पते की जानकारी देकर कार्ड मंगवाते है लेकिन शोशल मीडिया के युग ने उनका यह कार्य अब बहुत आसान बना दिया है। टेरकियाना बताते हैं कि वह अटल बिहारी वाजपाई,डॉ मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी , राहुल गांधी, शांता कुमार, सुरजीत सिंह बरनाला,गुरचरण सिंह टोहड़ा सहित अन्य कई प्रमुख हस्तियों को कार्ड पोस्ट करते रहते है और उक्त नेताओं का वापिसी जवाब भी उनको आता रहा है । होशियारपुर जिला लेखक मंच के कन्वीनर टेरकियाना जिला कचहरी परिसर में वकीलों से मिलने पहुँचने वाले माननीय जजों के सामने भी सिस्टम में आई खराबी का जिक्र हमेशा अपनी कविता के जरिए करते है और उनके बोले बोल काफी समय तक चर्चा में रहते हैं । रघुवीर सिंह का गांव टेरकियाना होशियारपुर जिले की तहसील दसूहा के पास है लेकिन वह काफी लम्बे अरसे से मॉडल टाउन होशियारपुर में रह रहे है । दूरदर्शन और रेडियो स्टेशन के प्रोग्रामों में कई दहाकों से भाग ले रहे है।शायरी के अलावा उन्होंने तीन नॉवल भी लिखे हैं ।हर साल आल इंडिया मुशायरा भी करवाते आ रहे है । उर्दू,हिंदी और पंजाबी के नामवर शायर पूरे देश से उनके मुशायरे में पहुँचते है । उनके द्वारा इस साल भी नए साल पर लिखा वधाई कार्ड पूरी चर्चा में है ।
-टेरकियाना का नए साल का वधाई कार्ड से कुछ शेयर
–भृष्टाचार महंगाई उस तों वी नहीं गई रोकी,
जुमलेबाज दी जुमलेबाजी वी निकली है फोकी।
–चोणां दी भट्ठी विच हर वार खलकत जांदी झोकी,
दुखी,लाचार,मजबूर ते बेवस इथों दे हन लोकी।
–अकाल तख्त साहिब उते आके गला विच पा लए पल्ले,
दागियां एते बाग़ियां अप्णियां धोना सुट लियां थल्ले।
–बहुत कुझ इथे निकलिया है जाली, नकली,फेक,
ज्यूडिशरी उते ही रह गई है हुन लोकां दी टेक।
–मनमोहन सिंह जी सियासत विच तुसीं खुद रहे हो बेदाग,
ईमानदार एते सादगी दा तुसीं ला के तुर गए जाग।
–मनमोहन सिंह जी अलविदा,साडा तुहाडे अग्गे झुक्दा सीस,
बहुत ज्यादा पढ़े लिखे सी तुसीं ते बड़े काबल एते नफीस।