75 पार, फिर भी PM मोदी पर क्यों लागू नहीं होगा : 75 पार होने के बाद भी मोदी क्यों हैं प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 75वां जन्मदिन  मना रहे हैं. मोदी, तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं और भारत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है. 2014 से भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने कई बदलाव किए हैं. इनमें से एक बदलाव यह भी है कि 75 साल से ऊपर के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी जाएगी.

2014 में लाल कृष्ण आडवाणी  और मुरली मनोहर जोशी  को दरकिनार करने के बाद मोदी ने मध्य प्रदेश में भी यही नियम लागू किया था. 80 साल की उम्र पार करने के बाद लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को भी कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह नियम मोदी पर भी लागू होगा?

2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से पहले अंतरिम जमानत पर तिहाड़ जेल से रिहा हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस बारे में बात की थी. उन्होंने कहा था कि 17 सितंबर को मोदी 75 साल के हो जाएंगे. अगर आप अभी मोदी को वोट देते हैं तो यह अमित शाह को वोट देने जैसा है. मोदी 75 साल के होते ही अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. इस चर्चा पर चुनाव प्रचार के दौरान ही अमित शाह ने विराम लगा दिया था. उन्होंने कहा था कि यह सवाल ही नहीं उठता कि नरेंद्र मोदी 75 साल के होते ही इस्तीफा दे देंगे, नरेंद्र मोदी अपना कार्यकाल पूरा करेंगे. अमित शाह ने साफ किया कि भाजपा के नियमों में ऐसा कुछ नहीं लिखा है.

75 पार होने के बाद भी मोदी क्यों हैं प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य? :  नरेंद्र मोदी दूसरे नेताओं की तरह नहीं हैं. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि उनकी उम्र सिर्फ एक संख्या है. 75 साल की उम्र में भी 25 साल के युवा की तरह सक्रिय रहने वाले नरेंद्र मोदी में कई खासियतें हैं. मोदी की नेतृत्व शैली प्रभावी और क्रियाशील है. मोदी लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी का संचार कौशल भी बहुत मजबूत है. वह सोशल मीडिया का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करते हैं.  वह लोगों तक सीधे अपनी बात पहुंचाते हैं. प्रधानमंत्री मोदी दूरदर्शी हैं, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत और डिजिटल इंडिया जैसी उनकी योजनाएं इसके स्पष्ट उदाहरण हैं. यही चीज उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाती है. मोदी ने भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई है. इससे भारत की वैश्विक छवि मजबूत हुई है. ये सभी बातें मिलकर मोदी को एक अनोखा और प्रभावशाली नेता बनाती हैं.

75 साल की उम्र में भी मोदी की फिटनेस और सेहत का राज उनकी दिनचर्या, योग, ध्यान और खानपान है. रोजाना योग करने वाले प्रधानमंत्री संतुलित आहार लेते हैं. मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने वाले मोदी बेहद अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हैं. सकारात्मक सोच ने उनकी ताकत को और बढ़ाया है. मोदी अपने कार्यकाल को सफलतापूर्वक पूरा करेंगे और उम्र के साथ आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं.

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