एएम नाथ। शिमला : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान राज्य सरकार द्वारा बिना किसी बजटीय प्रावधान के 94.36 करोड़ रुपये खर्च करने पर सवाल उठाए हैं। सीएजी की 2023-24 की रिपोर्ट आज विधानसभा में रखी गई।
एक प्रमुख मद में बिना बजटीय प्रावधान के 27.85 करोड़ रुपये खर्च किए गए और चार प्रमुख मदों के तहत 0.55 करोड़ रुपये के पुनर्विनियोजन के विरुद्ध 66.51 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जहां कोई बजटीय प्रावधान उपलब्ध नहीं था।
बजटीय प्रावधानों के बिना किए गए 94.36 करोड़ रुपये के व्यय वन एवं वन्यजीव, उद्योग एवं खनिज, सूचना प्रौद्योगिकी और शहरी विकास विभाग तथा नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग से संबंधित थे। धनराशि अनुपूरक बजट अनुमानों के माध्यम से प्राप्त की जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बजटीय प्रावधानों के बिना पुनर्विनियोजन हिमाचल प्रदेश की बजट नियमावली के विपरीत है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार द्वारा 2023-24 में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को वापस लाने के निर्णय से भविष्य में अतिरिक्त वित्तीय प्रभाव पड़ेगा। वर्ष के दौरान आकस्मिकता निधि से कोई लेन-देन नहीं हुआ, जिसमें 31 मार्च, 2024 को 5 करोड़ रुपये शेष थे। नकद शेष के बारे में, हिमाचल सरकार ने राजकोष में न्यूनतम शेष बनाए रखने में सक्षम होने के लिए 2023-24 में पांच दिनों पर ओवरड्राफ्ट लिया। राज्य सरकार ने 324 दिनों तक बिना कोई अग्रिम लिए राजकोष में न्यूनतम शेष बनाए रखा, जबकि 36 दिनों में अग्रिम और ऋण लेकर न्यूनतम शेष बनाए रखा। 2023-24 में, हिमाचल को केंद्र सरकार से 39,173.05 करोड़ रुपये का अनुदान मिला, जबकि 2022-23 में 38,089.51 करोड़ रुपये मिले। इसमें विभिन्न केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के तहत प्राप्त 5,328.69 करोड़ रुपये और वित्त आयोग से अनुदान के रूप में 8,738.16 करोड़ रुपये शामिल हैं।