चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पटियाला में कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे पर हुए हमले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आदेश दिया है।
यह घटना 13-14 मार्च की रात को पटियाला के जसवंत ढाबा के पास राजिंद्रा अस्पताल के निकट हुई थी।
उच्च न्यायालय ने चंडीगढ़ पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि जांच में कई खामियां पाई गई हैं। इसलिए, कोर्ट ने इस मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्णय लिया।
यह मामला तब चर्चा में आया जब कर्नल बाठ और उनके बेटे पर पंजाब पुलिस के चार इंस्पेक्टरों और उनके सशस्त्र सहयोगियों ने कथित तौर पर पार्किंग विवाद के चलते हमला किया।
कर्नल बाठ के अनुसार, वह और उनका बेटा ढाबे के बाहर अपनी कार के पास भोजन कर रहे थे, तभी कुछ सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों ने उनसे गाड़ी हटाने को कहा। जब उन्होंने असभ्य व्यवहार का विरोध किया, तो पुलिसकर्मियों ने कर्नल पर हमला कर दिया।
इस हमले में कर्नल की बांह टूट गई, जबकि उनके बेटे को सिर में चोट आई। उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच 3 अप्रैल को चंडीगढ़ पुलिस को सौंपी थी और चार महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था। चंडीगढ़ पुलिस के एसपी मंजीत श्योरन की अगुवाई में एक एसआईटी गठित की गई थी।
हालांकि, कर्नल बाठ ने सोमवार को एक नई याचिका दायर कर आरोप लगाया कि एसआईटी निष्पक्षता से जांच नहीं कर रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि तीन महीने बीत जाने के बावजूद किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया और न ही गैर-जमानती वारंट जारी किए गए। इसके अलावा, घटनास्थल के ढाबे का डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (डीवीआर) गायब है, जिसे हासिल करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
उच्च न्यायालय के जस्टिस राजेश भारद्वाज ने सुनवाई के दौरान एसआईटी की जांच की गति पर सवाल उठाए। कोर्ट ने पूछा कि एक आरोपी इंस्पेक्टर रॉनी सिंह की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बावजूद कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
कोर्ट ने यह भी पूछा कि हत्या के प्रयास की धारा को जांच से क्यों हटाया गया। चंडीगढ़ पुलिस की ओर से पेश वकील जवाब देने में असफल रहे।
जस्टिस भारद्वाज ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस निष्पक्ष जांच करने में विफल रही है। इसलिए, इस मामले को सीबीआई को सौंपा जा रहा है। कर्नल की पत्नी जसविंदर कौर बाठ ने कोर्ट के फैसले पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि वह न्याय की उम्मीद करती हैं। इस मामले में विस्तृत आदेश का इंतजार है।