गद्दी समुदाय की छह उप-जातियों में सिप्पी, धोगरी, रिहाड़े, वाड़ी, हाली व लौहार को गद्दी शब्द से आज तक रहा जा रहा वंचित : हिमालयन गद्दी यूनियन

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एएम नाथ।  धर्मशाला, 2 अप्रैल :   समृद्ध गद्दी समुदाय की छह उप-जातियों के समूह हिमालयन गद्दी यूनियन अपनी वर्षों पुरानी मांग को अब तक पूरा न होने के चलते आगामी रणनीति तैयार करने के लिए सात अप्रैल रविवार को धर्मशाला में महासम्मेलन करने जा रही है।  यूनियन के पदाधिकारियों ने  कहा कि 75 वर्षों से उन्हें उपेक्षा का शिकार बनाया जा रहा है। गद्दी समुदाय की छह उप-जातियों में सिप्पी, धोगरी, रिहाड़े, वाड़ी, हाली व लौहार को गद्दी शब्द से वंचित रखा जा रहा है, जो कि मात्र राजस्व त्रुटि है। उन्होंने कहा कि मात्र राजनीतिक लाभ के लिए बड़ी जनसंख्या व वोट बैंक के लिए गद्दी समुदाय की उप-जातियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन अब लोकसभा व विधानसभा के उप-चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में वंचित उप-जातियों के लिए न सोचने वाली राजनीतिक पार्टियों को उनकी ज़मीन दिखाई जाएगी।

हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश के बैनर तले कांगड़ा-चंबा सहित राज्य भर की छह उप-जातियों के लोगों की ओर से उपजातियों के साथ गद्दी शब्द जोड़ने के लिए महासम्मलेन करने का ऐलान किया है। इसके लिए हिमालयन गद्दी यूनियन हिमाचल प्रदेश की ओर से जिला निवार्चन अधिकारी एवं डीसी कांगड़ा सहित एसडीएम कार्यालय से अनुमति मंगलवार को प्राप्त कर ली गई है। इस दौरान यूनियन के पदाधिकारियों ने वर्तमान सरकारों व राजनैतिक दलों को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि राजस्व त्रुटि सुधार कर गद्दी शब्द से वंचित उपजातियों को राहत प्रदान की जाए।

उन्होंने कहा कि लोक व विस उप-चुनावों से पहले उपजातियों के लोग सैंकड़ों की संख्या में जोराबर मैदान में उतरकर शांतिपूर्ण तरीके से महा सम्मेलन करेंगे। यूनियन के अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने कहा कि 1867 के कांगड़ा के गजट में गद्दी शब्द जुड़ा है। इसके बावजूद दशकों से मांग उठाए जाने पर दर्जनों बार जांच भी करवाई गई, जिस पर सभी रिपोर्ट में गद्दी शब्द जुडऩा सही पाया गया है। इसके बाद भी मांगों पर गंभीरतापूर्ण तरीके से विचार नहीं हो रहा है, तो अब उन्हें आगामी रणनीति बनाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गद्दी समुदाय की कांगड़ा-चंबा की अढ़ाई लाख संख्या वाली छह उपजातियों में आक्रोश है।

अध्यक्ष मोहिंद्र सिंह ने कहा कि गद्दी समुदाय की छह वंचित उप-जातियों के साथ राजस्व अभिलेख में गद्दी शब्द जुड़ा है, जोकि बाद में हटाया गया है। उन्होंने कहा कि चंबा के भरमौर में उक्त छह उपजातियों के कुछ लोगों के साथ भी गद्दी शब्द जुड़ा है, जबकि कुछेक को आखिर क्यों वंचित रखा जा रहा है। इस मुद्दे को पिछले कई वर्षों से अलग-अलग मंचों के माध्यम से उठाया जा रहा है, जबकि सरकारों ने अब तक मांग को अनसुना ही किया है। कार्यकारिणी के पदाधिकारियों का कहना है कि जोराबर सिंह मैदान सिद्धबाड़ी धर्मशाला में होने वाले महा सम्मेलन से राजनीति दलों को जनबल दिखाएंगे। साथ ही मांग की दिशा में कार्य करने वाले राजनीतिक दल की दिशा को तय करने व दिशा भंग करने में वह इस बार अपनी भूमिका निभाएंगे।

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