जनवरी तक बनेगी हिमाचल कांग्रेस की नई कार्यकारिणी : गुटबाजी पाटकर संतुलन स्थापित करने की बड़ी चुनौती :

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एएम नाथ। शिमला  हिमाचल कांग्रेस की नई कार्यकारिणी का गठन अगले साल जनवरी महीने तक हो सकता है. नई कार्यकारिणी के गठन के लिए तीन दिन तक शिमला स्थित राजीव भवन में बैठकों का दौर चला। सोमवार से बुधवार तीन दिन तक लगातार बैठकें हुई और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिवों ने बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर फीडबैक हासिल किया.
समन्वय और संतुलन स्थापित करना बड़ी चुनौती :  हिमाचल कांग्रेस नई कार्यकारिणी में ऐसे नेताओं और कार्यकर्ताओं को जगह देना चाहती है, जो पार्टी के लिए ग्राउंड जीरो पर कम करें. हाल ही में कई पदाधिकारी की निष्क्रियता की वजह से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान झेलना पड़ा.   यही नहीं, कांग्रेस में गुटबाजी भी चुनाव में हार का एक बड़ा कारण बनी. ऐसे में नई कार्यकारिणी के गठन में समन्वय और संतुलन स्थापित करने का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा.
बुधवार को सभी 12 पर्यवेक्षकों के साथ बैठक :  बुधवार को हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह की अध्यक्षता में नियुक्त प्रदेश के सभी 12 जिलों के चुनाव पर्यवेक्षकों के साथ बैठक हुई. इस बैठक में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव प्रदेश मामलों के सह प्रभारी चेतन चौहान, विदित चौधरी के साथ चारों संसदीय क्षेत्र के पार्टी पर्यवेक्षक कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के शांतनु चौहान, हमीरपुर के गुरप्रीत गांधी, शिमला के ओमवीर यादव और मंडी संसदीय क्षेत्र के गौरव भाटिया मौजूद थे.  लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी इस बैठक में विशेष तौर पर मौजूद रहे. बैठक में सभी 12 जिलों के पर्यवेक्षक भी मौजूद रहे. इसमें शिमला से राजीव वर्मा, सिरमौर से चरनजीत सिंह निक्कू, सोलन से प्रवीण चौधरी, मंडी से मुजफ्फर गुर्जर, कुल्लू से पुरषोत्तम नागर, किन्नौर से योगेश राणा, लाहौल स्पीति से मनोज कौशिक, कांगड़ा से मनोज लुबाना, चंबा से अखिलेश, ऊना से रुद्र प्रताप, बिलासपुर से दीपक लुवाना आए हमीरपुर से प्रभाकर झा शामिल थे.
गुटबाजी पाटकर संतुलन स्थापित करने की बड़ी चुनौती :  हिमाचल कांग्रेस में गुटबाजी की परेशानी कोई नई बात नहीं है. लंबे वक्त से गुटबाजी कांग्रेस को परेशान करती आई है. एक वक्त था, जब सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे और राज्य की सत्ता पर बतौर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह काबिज थे. तब भी सरकार और संगठन के बीच खूब गुटबाजी थी.
यह गुटबाजी रह-रह कर मीडिया के जरिए आम लोगों के सामने भी आती रहती थी. आज वक्त बदल चुका है. सुखविंदर सिंह सुक्खू राज्य के मुख्यमंत्री बन चुके हैं और वीरभद्र सिंह की धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष हैं. लेकिन, गुटबाजी की स्थिति लगभग वैसी ही है.
युवाओं के जोश और बुजुर्गों के अनुभव का मिश्रण :  ऐसे में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने बाहरी राज्यों से आब्जर्वर नियुक्त कर ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट लाने के लिए कहा है. इस रिपोर्ट के आधार पर ही नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा, जिसमें युवाओं के जोश और बुजुर्गों के अनुभव का मिश्रण होगा.
यही नहीं, दोनों ओर से अपने लोगों को एडजस्ट करने की होड़ और नेताओं का जोर भी परेशानी का सबब बनने वाला है. देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस परेशानी से पार कैसे पाती है.
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