कार्रवाई करने के बजाय एनजीओ पर 97 लाख रुपए की मेहरबानी का क्या है राज : जयराम ठाकुर

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सुख की सरकार यानी भ्रष्टाचार और घोटालों की भरमार

हर जगह केंद्र सरकार द्वारा भेजे जा रहे पैसों की बर्बादी कर रही है सुक्खू सरकार

एएम नाथ। शिमला
शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू की सरकार प्रदेश में घोटालों और भ्रष्टाचार का पर्याय बन गई है। जहां भी नज़र उठाकर देखिए वहीं पर घोटाले ही घोटाले नज़र आ रहे हैं। आज समाचार पत्रों से पता चला कि सामाजिक और अधिकारिता विभाग में ग़लत तरीक़े कुछ एनजीओ के 97 लाख रुपए के प्रोजेक्ट्स को मंजूर करने का मामला सामने आया है। जिन एनजीओ के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की संस्तुति सक्षम अधिकारियों द्वारा की गई थी, उन्हीं पर उच्च अधिकारी मेहरबान हो रहे हैं और अपने अधीनस्थों की अपील ठुकरा कर नियम विरुद्ध काम कर रहे हैं। यह मामला सामान्य नहीं बल्कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों से जुड़ा है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिन संस्थाओं के खिलाफ सक्षम अधिकारी ने कार्रवाई करने के लिए कहा हो उस पर उच्च अधिकारी कैसे मेहरबान हो सकता है? आखिर ऐसा किसके कहने पर किया गया? ऐसा करने और करवाने वाले की क्या मंशा है? एक तरफ़ सरकार आर्थिक बदहाली के नाम पर प्रदेश वासियों पर तमाम टैक्स लाद रही है और नियमानुसार दी जा रही सहूलियतें छीनकर आम लोगों का जीना दूभर कर रही है दूसरी तरफ़ अपने मित्रों के लिए नियम-कायदे को दरकिनार कर केन्द्र सरकार के करोड़ों रुपए लुटा रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार के फैसलों में हर जगह पक्षपात नज़र आता है। प्रदेश में राज्य स्तरीय बहुविषयक अनुदान सहायता समिति (एमडीडीजीआई) की बैठक में कांगड़ा की तीन एनजीओ के प्रोजेक्ट को सदस्य सचिव द्वारा अनियमितता के आधार पर नामंजूर कर दिया गया था और उनके पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश की गई। जिसका अनुमोदन बैठक के चेयरमैन द्वारा भी किया गया था। बाद में उन तीनों एनजीओ के प्रस्तावों को ग़लत रूप से सशर्त मंज़ूरी देते हुए उन्हें केंद्र सरकार के पास भेजने की सिफारिश विभाग के सचिव द्वारा कर दी गई। केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित परियोजनाओं में इस प्रकार से धन का दुरुपयोग हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि एक महीने से ज़्यादा समय हो जाने के बाद भी सरकार द्वारा इस तरह के ग़लत काम का समर्थन क्यों किया गया? इस पूरे प्रकरण में किस अधिकारी ने नियमों की अनदेखी करते हुए पक्षपात किया? इतने बड़े घोटाले पर सरकार आँखे बंद करके क्यों बैठी रही? इसके साथ ही मुख्यमंत्री इस बात का भी जवाब दें कि इस तरह के घोटाले के समर्थन करने वालों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई कर रहे हैं। प्रदेश के संसाधनों को इस तरह से लुटाने वाले के ख़िलाफ़ अगर वह नरमी बरतते है तो सवाल उन पर भी उठेंगे।
जयराम ठाकुर ने कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं हैं जब केंद्र सरकार के धन का दुरुपयोग का मामला सामने आया है। आईजीएमसी में बंद पड़े ट्रामा सेंटर में मानव श्रम के नाम पर ढाई करोड़ रुपए का घोटाला हो चुका है। प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के तहत आई 8.75 करोड़ रुपए की धनराशि का उपयोग एक निजी कंपनी की सुरक्षा दीवार बनाने में खर्च कर दिया। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न विभागों के भेजे गए पैसे को वापस मंगवाने, उन्हें अन्य मदों में खर्च करने का काम सरकार द्वारा आए दिन रहा है, इससे केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट्स में देरी हो रही है और विकास के काम प्रभावित हो रहे हैं। सरकार भ्रष्टाचार को संरक्षण देना बंद करे।

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