अमेरिका में अब सालों से बसे भारतीयों पर भी वापसी का खतरा, US में रहने का अधिकार खत्म हो जाएगा अमेरिका द्वारा बदले गए वीजा नियम के मुताबिक

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नई दिल्ली । अमेरिका में लीगल तरीके से रह रहे हजारों उन भारतीयों पर भी खतरा मंडरा रहा है, जो नाबालिग के तौर पर अमेरिका पहुंचे थे। इन लोगों को H-4 वीजा पर अमेरिका में रहने का मौका मिला था।
दरअसल, अमेरिका में रहने वाले H1-B वीजा धारकों के 21 साल से कम उम्र के बच्चों को H-4 वीजा दिया जाता है। लेकिन यूएस के नये इमीग्रेशन नियमों के मुताबिक, H-4 वीजा धारक 21 साल की उम्र पूरी करने के बाद H1-B वीजा धारकों के डिपेंडेंट के तौर पर मान्य नहीं होंगे। कई लोग पहले से ही विकल्प की तलाश में जुटे हैं। कुछ लोग कनाडा, ब्रिटेन जैसे देशों में जाने की तैयारी में हैं, जहां बसने को लेकर नीतियां थोड़ी लचीली हैं। मार्च 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में करीब 1.34 लाख भारतीय बच्चे ऐसे हैं, जिनकी उम्रसीमा पूरी होने वाली है और उनके परिवार को ग्रीन कार्ड नहीं मिला है। अमेरिकी इमीग्रेशन सिस्टम में परमानेंट रेजीडेंसी पाने की प्रक्रिया काफी लंबी है और इसमें 12 से 100 साल तक लग जाते हैं। अमेरिकी नागरिकता और प्रवासी सेवा विभाग ने हाल ही में एच-1बी वीजा के लिए रजिस्ट्रेशन पीरिडयन का ऐलान किया है। यह प्रक्रिया 7 मार्च से 24 मार्च तक ही चलने वाली है।
यूएस सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विस ने वित्त वर्ष 2026 के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रोसेस 7 मार्च से 24 मार्च तक चलेगा। बता दें कि H1-B नॉन इमीग्रेंट वीजा है, जिसका इस्तेमाल अमेरिकी कंपनियों में विदेशी नागरिकों को हायर करने के लिए किया जाता है। H1-B वीजा का कैप अब भी 65 हजार प्रति वर्ष पर तय किया गया है। हालांकि नई रजिस्ट्रेशन फीस 215 डॉलर है। अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने इस साल की शुरुआत में H1-B वीजा पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि इससे अमेरिकियों की जॉब छिन रही है।
बता दें कि एच-1बी वीजा उन लोगों के लिए होता है, जो गैर-प्रवासी होते हैं। इसके तहत अमेरिकी कंपनियों को विदेशी लोगों को नौकरी देने की मंजूरी दी जाती है। यह नौकरियां तकनीकी और विषय की विशेषज्ञता को आधार मानकर दी जाती हैं। अब यहां पेच यह फंस रहा है कि एच-1बी वीजा हर साल 65 हजार ही जारी किए जा सकते हैं। इनके अतिरिक्त 20 हजार ऐसे लोगों को यह वीजा जारी हो सकते हैं, जिन्होंने अमेरिका में ही मास्टर्स डिग्री ली हो। अब इसमें भी फ्रॉड की आशंका को रोकने के लिए अमेरिका ने अपनी नीतियों को सख्त किया है। एक अनुमान के अनुसार ऐसे करीब 1.34 लाख भारतीय हैं, जिनकी आयु 21 साल होने वाली है और उनके परिवारों के पास ग्रीन कार्ड नहीं है।
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