पंजाब में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने सभी पार्टियों से अपील की है कि वे सभी जनसंख्या आधारित परिसीमन के फायदे और नुकसान पर चर्चा करने लिए एकजुट हों और अगर जरूरत हो तो इसका विरोध करें।
बाजवा से पहले कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस मुद्दे को उठाया था। बाजवा ने कहा कि अगर लोकसभा के सीटों की संख्या 848 हो जाती है तो महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों जनसंख्या बहुल राज्यों की तुलना में पंजाब की हिस्सेदारी सीमांत हो जाएगी.बाजवा ने कहा कि इन राज्यों में पहले ही बीजेपी अच्छी स्थिति में है. चंडीगढ़ के सासंद मनीष तिवारी ने कहा था कि अगर एक नागरिक, एक वोट और एक मूल्य के मौजूदा सिद्धांत के अनुसार परिसीमन किया जाता है तो उत्तरी राज्य भी हार जाएंगे क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा की कुल ताकत में उनका प्रतिशत कम हो जाएगा.
हाशिए पर पहुंचे जाएंगे पंजाब और हरियाणा – मनीष तिवारी
मनीष तिवारी का कहना है कि केवल जनसंख्या के आधार पर परिसीमन में पंजाब में लोकसभा सीटों की संख्या 18 होगी, जबकि अभी यह 13 है. उन्होंने कहा कि सांसद की कुल संख्या के अनुपात के अनुसार हरियाणा और पंजाब दोनों राज्य हार जाएंगे. वे पहले से ही हाशिए पर हैं और परिसीमन से वे महत्वहीन हो जाएंगे.
पंजाब और हरियाणा के बीच बढ़ जाएगा विवाद – मनीष तिवारी
मनीष तिवारी ने कहा कि इसका एकमात्र फायदा मध्य भारत को होगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा और पंजाब के बीच भी तनाव की स्थिति पैदा हो सकता है. क्या पंजाब की लोकसभा सीटों की संख्या में हरियाणा के साथ समानता स्वीकार करेगा? उन्होंने नया फॉर्मूला पेश करने की मांग की. हरियाणा में लोकसभा सीटों की संख्या 10 है और पंजाब में 13 है. पंजाब की तुलना में हरियाणा में जनसंख्या अधिक है, जिसका एक कारण अन्य राज्यों से एनसीआर में होने वाला पलायन भी है।