शिमला : मुख्यमंत्री को लेकर कांग्रेस में पूरी तरह पेंच फंस गया है। हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और प्रचार समिति अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू, अब मुकेश अग्निहोत्री का नाम पर जोरदार चर्चा चल रही थी। लेकिन पेच फंसने के बाद राजेंद्र राणा ठाकुर, चंद्र कुमार और धनीराम शांडिल का नाम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
विक्रमदित्य एक युवा चिहरा है और लंबे समय तक कांग्रेस के लिए काम कर सकते है। ज्यादा मुख्यमंत्री को लेकर विवाद होने पर कांग्रेस उनके नाम को आगे बढ़ा सकती है। लेकिन इस सभी के बीच सुखविंदर सुक्खू हालाकि बयान दे रहे है कि हाईकमान मुख्यमंत्री का नाम तय करेगी। लेकिन सूत्रों की माने सुक्खू को लगता है अभी नही तो कभी नही। इसलिए सुक्खू आरपार की लड़ाई के मूड में है।
उधर, विवाद की आशंका के चलते प्रियंका गांधी ने पहले ही दावेदारों की लिस्ट मंगा ली थी। उन्होंने 8 प्वाइंट्स में जानकारी मांगी थी। हालांकि, इन प्वाइंट्स के बारे में ज्यादा कोई जानकारी बाहर नहीं आ रही। कांग्रेस के हिमाचल प्रभारी राजीव शुक्ला ने कहा, “हमें बहुमत प्राप्त हुआ। निर्वाचित विधायकों को बुलाया है, और एक अनौपचारिक बैठक करके हम पार्टी आलाकमान को सूचित करेंगे। वही फैसला लेंगे।”
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह बोलीं- सोनिया गांधी ने बड़ी जिम्मेदारी दी थी। मैंने ईमानदारी से काम किया और परिणाम हमारे सामने है। इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिवार की उपेक्षा नहीं की जा सकती। इसी बीच मुकेश अग्निहोत्री ने भी खा के उन्हीनों अपनी ड्यूटी पूरी कर दी ही और प्रदेश में कांग्रेस को बहुमत मिल गया ही तौ मुख्यमंत्री का नाम हाईकमान तय करेगी।
सुखविंदर सुक्खु ने भी कहा जिसे आलाकमान चाहेगा वह मुख्यमंत्री होगा। विधायकों के सुझावों पर चर्चा होती है, इसके बाद ही निर्णय होगा।
मुख्यमंत्री के प्रमुख दावेदार :
प्रतिभा की अगुआई में ही पार्टी ने जीत दर्ज की सबसे ज्यादा विधायक उनके साथ जा सकते : प्रतिभा सिंह हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं। उनकी अगुआई में ही पार्टी बहुमत से जीती है। उपचुनाव में मंडी विधानसभा क्षेत्र से वह सांसद चुनी गईं। मंडी भाजपा सरकार में मुख्यंमंत्री रहे जयराम ठाकुर का गृह जिला है। जिसके चलते सबसे मजबूत दावेदारों में प्रतिभा सिंह का ही नाम माना जाता है।
सुखविंदर की हाईकमान से अच्छे संबंध तो संगठन का लंबा तजूर्बा: सुखविंदर छात्र जीवन से ही कांग्रेस संगठन जुड़े हैं। सुक्खू एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे। युवा कांग्रेस के भी अध्यक्ष रहे। इसके बाद वह सबसे लंबे समय तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहने वाले नेता भी है। उनकी हाईकमान से संबंध बहुत अच्छे माने जाते है। हैं। इस समय कांग्रेस की प्रचार समिति के सुक्खू अध्यक्ष हैं।
मुकेश तेजतरार नेता और दिल्ली में मजबूत पकड़ : मुकेश पत्रकार थे और फिर राजनीति में आए और लगातार पांचवीं जीत उनके खाते में है। वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हैं। उनके मंत्रिमंडल में भी मुकेश शामिल थे। वीरभद्र ने फली बार उन्हें पारलीमेंट्री सचिव फिर चौथी टर्म में उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी। मुकेश इस समय कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष हैं।
धनीराम शांडिल की सामाजिक छबि : पूर्व मंत्री एवं पूर्व सांसद धनीराम शांडिल कांग्रेस वर्किंग कमेटी के मेंबर रह चुके हैं। वह दलित वर्ग से हैं। निर्विवाद होने के चलते ही वह वीरभद्र सिंह के मंत्रिमंडल में भी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रहे। 2017 में जब कांग्रेस प्रदेश में हारी तो भी वह जनता में अपनी ईमानदार छवि के कारण सोलन से दोबारा विधायक बने।
चंद्र कुमार कद्दावर नेता :
पूर्व मंत्री और सांसद रहे चंद्र कुमार कांगड़ा जिले के कद्दावर ओबीसी नेता हैं। वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हैं।
राजेंद्र राणा ने हराया था धूमल को : सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रेम कुमार धूमल को हराया था। तब से कांग्रेस में ही नहीं, पूरे प्रदेश की राजनीति में उनका राजनीतिक कद काफी ऊंचा हो गया। राणा पहले धूमल के करीबी थे। भाजपा में रहकर वह भी टिकट के दावेदार थे। टिकट न मिलने पर उन्होंने वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ज्वाइन की थी और इस बार बहुत कम मतों से जीत दर्ज कर विधायक चुने गए।