गढ़शंकर । हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटे उपमंडल गढ़शंकर के अंतर्गत पड़ते बीत इलाके के गांव मजारी के पहाड़ों में अवैध तौर पर माईनिंग कर मैदान बनाने के छे महीने बाद भी उकत पहाड़ी की जगह की निशानदेही नहीं की जा रही। लिहाजा अवैध खनन करने वाले बार बार जमीन हिमाचल प्रदेश के गांव सिंघा की होने की बात आपने बचाव कर रहे है। हिमाचल पंजाब की सीमा पर हुए अवैध खनन के इस बड़े मामले में आरोपियों को विभिन्न अधिकारियों दुआरा तय योजना तहत बचाया जा रहा है। ताकि मामला समय गुजरने पर आपने आप शांत हो जाएगा।
सीमा विवाद का बहाना लेकर वन विभाग दुारा आरोपियों के विरुद्ध कोई कारवाई नहीं की जा रही। लिहाजा बन बिभाग ने निशानदेही का मामला राजस्व और पंचायत बिभाग के हवाले कर मामले को लटकाने में अहम भूमिका अदा की है। वन विभाग के अधिकारी अवैध माईनिंग वाली जगह के लिए तहसीलदार, एसडीएम और जिलाधीश को पत्र भेज कर निशानदेही की मांग कर चुके है,। लेकिन आज तक निशानदेही नही हुई है। लेकिन जब तक निशानदेही नही होती तब तक यह अवैध खनन का मामला सुलझेगा नही। क्योंकि उकत जमीन पंजाब में है या हिमाचल प्रदेश में पड़ती है उसके बाद तय होगा कि अवैध खनन के मामले में कारवाई हिमाचल प्रदेश का प्रशासन करेगा या पंजाब के संबंधित विभाग करेगे।
पंजाब सरकार के मंत्री अवैध माईनिंग प्रति जीरो टालरैंस का रवैया अपनाने के दावा करते है लेकिन यहां पांच महीने से निशानदेही का ही मामला लटका हुया है। जिससे सरकार व प्रशासन पर स्वाल उठ रहे है।
अवैध खनन का मामला यह है : हिमाचल प्रदेश के कुछ क्रेशर मालिकों द्वारा अगस्त महीने मजारी के वन क्षेत्र में की गईं अवैध माईनिंग का मामला सामने आया था । उस समय गांव के नंबरदार सुभाष चंद्र व गांववासियों ने इस अवैध माइनिंग का मामला उठाते हुए इस कि शिकायत संबंधित विभागों को की थी और अवैध खनन करने वाले लोगो को मौके पर जाकर खनन करने से रोक दिया था। उनका कहना था कि उक्त जमीन मजारी ग्राम पंचायत की है। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई ना होने के पीछे अधिकारियों की मिलीभुगत की अशंका पैदा करती है। गांववासियों की शिकायत पर वन विभाग विभाग के कर्मचारियों ने तफसीस कर पुलिस थाना गढ़शंकर में जुलाई महीने में शिकायत देकर कुछ लोगो के नाम व कैशरों के नाम लिखकर देकर उनके खिलाफ मामजा दर्ज करने के लिए आग्राह किया था। लेकिन बाद में पुलिस बिभाग को कह दिया कि अभी मामला दर्ज न किया जाए। क्योंकि उक्त अवैध खनन वाली जमीन की निशानदेही करवानी पड़ेगी कि वह हिमाचल2 में है जा पंजाब में है और मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। जब मामले ने तूल पकड़ना शुरू किया तो वन रेंज अफसर दुारा पत्र नंबर 313जी 6 अगस्त को तहसीलदार को भेज कर उकत जगह की निशानदेही की मांग की गई है। इसके इलावा वन मंडल अधिकारी ने एसडीएम गढ़शंकर को 11 अगसत को पत्र नंबर 3225 और जिलाधीश को 12 सितंबर को पत्र नंबर 4133 भेज कर उकत अवैध माईनिंग वाली जगह की माईनिंग करवाने की मांग की जा चुकी है। इस सभी के बीच उकत जगह पर पटवारी व कानूनगो उकत जगह पर गए । भी लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी निशानदेही नही हो सकी।
तहसीलदार तपन भनोट : डीजीपीएस से निशानदेही करवाने के लिए सभी इंतजाम हो गए है। पहले भी निशानदेही की कोशिश की गई थी तव हिमाचल प्रदेश के लोगों ने हल्ला करना शुरू कर दिया जिसके बाद बीडीपीओ की और से निशानदेही के लिए पुलिस प्रोटेक्शन के लिए उच्च अधिकारियों को लिखा था जिसकी मंजूरी मिल चुकी है और इस संबंध में बीडीपीओ गढ़शंकर ही कोई फैसला करेंगे।
बीडीपीओ गढ़शंकर मनजिंदर कौर : पहले मामले की अनभिज्ञता जताई और फिर कहा अभी कुछ नहीं हुआ, तहसीलदार साहेब को पत्र दिया गया है और वह ही निशानदेही कराएंगे, उन्होंने कहा कि इस संबंध में एसडीएम व तहसीलदार ही कुछ बता सकते है। बीडीपीओ गढ़शंकर कार्यलय के सुपरडेन्ट जीवन लाल ने बताया कि डिप्टी कमिश्नर होशियारपुर से निशानदेही के समय पुलिस प्रोटेक्शन की मंजूरी मिल गई है और निशानदेही के लिए संबंधित गांवों के नक्शे तैयार किये जा रहे हैं उसके बाद ही निशानदेही हो सकती है।
नंबरदार सुभाष चन्द्र : हमने बहुत बार जमीन की निशानदेही करवाई है और उकत पहाड़ी की जगह मजारी की ही निकलती है। वन विभाग व संबंधित विभाग इस मामले को लटका रहे हैं। उन्होंने कहा कि समय पर अवैध खनन की शिकायत सभी विभागों के पास कर चुके हैं। लेकिन कारवाई के नाम पर सब एक दूसरे की ओर देख रहे कर मामले को ठंडे बस्ते में डालना चाहते है
फ़ोटो : गढ़शंकर के बीत इलाके के गांव मजारी के जंगल में हिमाचल प्रदेश के कुछ क्रेशर मालिकों व अन्य द्वारा उस समय की गई अवैध माइनिंग की तस्वीरें ।