चंडीगढ़ : कनाडा में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या ने भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में जो खटास पैदा कर दी है,फिलहाल उसका अंत नजर नहीं आ रहा। कनाडा बिना सबूतों के अपने आरोपों पर अड़ा है। भारत कह रहा है कि कनाडा के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। दोनों देशों एक-दूसरे के राजनयिक निष्कासित कर चुके हैं। इसी बीच सवाल यह उठ रहा कि आखिर टारगेट किलिंग पर अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहता है? यह पहली बार नहीं है, जब किसी देश पर इस तरह के आरोप लगे हों! 2011 में अमेरिका ने पाकिस्तानी धरती में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मारा था। इजरायल भी कई बार अपने दुश्मनों की टारगेट किलिंग स्वीकार चुका है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अदालत व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ यूक्रेन में किलिंग के आरोपों पर गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुकी है। बावजूद उसके पुतिन बेबाकी से दुनिया में घूम रहे हैं।
कनाडाई धरती पर खालिस्तानी चरमपंथी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर भारत और कनाडा के बीच जो विवाद खड़ा हुआ है, उस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं। लेकिन दुनिया उस वक्त स्तब्ध हो गई जब कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो दिल्ली से लौटे और भारत पर आरोप लगा दिए कि भारतीय एजेंसियों का हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में हाथ है । उन्होंने कहा था कि जून में कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे भारतीय खुफिया एजेंट थे। इन आरोपों ने भारत को नाराज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने दो टूक शब्दों में कहा है कि कनाडा को अपनी धरती पर खालिस्तानी गतिविधियों पर ध्यान देने की जरूरत है।
भारत ने सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से किसी भी तरह के संबंध से दृढ़ता से इनकार किया है। हालांकि यह बात गौर करने वाली है कि खालिस्तानी नेता निज्जर भारत में मोटवांटेड आतंकी था, उस पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप थे। वह 10 लाख का ईनामी बदमाश था।
जब देशों ने स्वीकारी टारगेट किलिंग : ऐसी हत्याओं का दोष आमतौर पर सऊदी अरब या रूस जैसे देशों पर लगाया जाता है। अमेरिका ने साल 2011 में पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन की हत्या स्वीकारी थी। इस घटना के दस साल बाद अमेरिका ने इराक़ में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी को एक ड्रोन हमले में मार दिया था। इजरायल भी कई मौकों पर अपने दुश्मनों और चरमपंथी फलिस्तीनियों को मारने की बात कबूल चुका है। यह मानना गलत है कि टारगेट किलिंग सिर्फ अपने मतलब पूरा करने के लिए किए जाते हैं। कभी-कभी इन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भी उचित ठहराया जा सकता है।
पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट : यूक्रेन में हजारों लोगों की हत्या और यूरोपीय देश पर कहर बरपाने के आरोप में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दुनिया के कई देशों के निशाने पर हैं। पुतिन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में गिरफ्तारी वारंट जारी किया जा चुका है। वारंट के वजह से वह कई देशों में यात्रा करने से परहेज भी कर रहे हैं लेकिन, दुनिया के उन देशों में जाने से नहीं चूक रहे, जहां उन्हें कोई खतरा नहीं।
कनाडा के पास विकल्प क्या है?
यदि निज्जर की हत्या के मामले में कनाडाई सरकार भारत के खिलाफ सबूत जुटा लेती है तो तो यह उसके लिए संप्रभुता का एक महत्वपूर्ण उल्लंघन होगा ऐसी स्थिति में कनाडा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। लेकिन, सवाल यह है कि क्या किसी विदेशी एजेंसी द्वारा एकत्र किए सबूतों को इंटरनेशनल कोर्ट दूसरे देश के खिलाफ मानेगा।
क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय कानून : अंतरराष्ट्रीय कानूनों के हिसाब से किसी देश में विदेशी एजेंसियों की ओर से की जाने वाली टारगेट किलिंग उसकी संप्रभुता के खिलाफ मानी जाएगी। ऐसा उस देश की संप्रभुता का उल्लंघन माना जा सकता है। इंटरनेशनल कोर्ट के हिसाब से यह उस क़ानून का भी उल्लंघन माना जाएगा, जिसके तहत एक देश दूसरे देश की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की प्रतिबद्धता जताते हैं। यह उस कानून का भी उलंलघन माना जाएगा जिसमें कहा गया है कि सभी सदस्य देश किसी दूसरे देश की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल नहीं करेंगे।