घरेलू हिंसा जैसी कुरीति की समाप्ति के लिए पारिवारिक मूल्यों की विरासत को संजोए रखना अनिवार्य: डॉ. डेज़ी ठाकुर

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राज्य महिला आयोग ने घरेलू हिंसा पर किया एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
ऊना – हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग के सौजन्य से आज बचत भवन ऊना में घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। शिविर का अध्यक्षता आयोग की अध्यक्षा डॉ. डेजी ठाकुर ने की।
अपने संबोधन में डॉ. डेज़ी ठाकुर ने कहा कि वर्तमान समय और कुछ दशक पूर्व के समय की अगर तुलना करें, तो हम पाएंगे कि परिवार रुपी संस्था में भी बड़ी तेजी से बदलाव आया है। संयुक्त परिवारों का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है और अब एकांकी परिवार अधिक देखने को मिल रहे हैं। आपसी सामंज्य, विश्वास, सेवाभाव, आदरभाव जैसे पारिवारिक मूल्यों में कमी आई है। पूर्व में यदि दंपत्ति के मध्य कोई मतभेद उत्पन्न होते थे, तो बडे़-बुजुर्गों के हस्तक्षेप से उन्हें तुरंत सुलझा लिया जाता है। लेकिन आज एकांकी परिवार में दंपत्ति के आपसी मतभेद इस हद तक बढ़ जाते हैं कि मामला पुलिस व न्यायालय तक पहुंच जाता है। आज घरेलू हिंसा जैसी कुरीति को समाप्त करने के लिए पारिवारिक मूल्यों को संजोए रखने की नितांत आवश्यकता है।
डॉ. डेज़ी ठाकुर ने कहा कि महिलाओं को घरेलू हिंसा व उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करने के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 को लागू किया गया है। उन्होंने बताया कि यदि किसी महिला के साथ किसी भी प्रकार का अत्याचार किया जाता है, तो वह अधिनियम के तहत मामला दर्ज करवाकर न्याय प्राप्त कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारियों की भूमिका बेहद अहम होती है।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि संरक्षण अधिकारियों सहित पुलिस, सीडीपीओ, आंगनबाड़ी पर्यवेक्षकों व महिला शक्ति केंद्र कार्यशाला उपयोग सिद्ध होगी तथा घरेलू हिंसा से जुड़े मामलों के त्वरित निपटान में मददगार बनेगी।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा ने जिला ऊना में महिला एवं बाल विकास विभाग के सौजन्य से चलाए जा रहे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की सराहना करते हुए बेटियों के लिए जिला प्रशासन द्वारा क्रियान्वित की गई मेरे गांव की बेटी मेरी शान, आशीर्वाद योजना, बालिका सुरक्षा योजना, गरिमा योजना तथा एक बूटा बेटी के नाम जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ऊना के प्रयासों का ही परिणाम है कि किसी समय चिंता का विषय बना लिंगानुपात आज 875 से बढ़कर 938 तक पहुंचा है।
प्रशिक्षण शिविर में महिला आयोग की सदस्या इंदु दड़ोच ने कहा कि घर की महिलाओं को आपसी सामंजस्य से घरेलू विवादों को घर पर ही सुलझाने में विश्वास रखना चाहिए। यदि फिर भी कोई मामला आयोग के ध्यान में आता है तो संरक्षण अधिकारियों को समाधान के लिए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
इससे पूर्व जिला कार्यक्रम अधिकारी, आईसीडीएस सतनाम सिंह ने महिला आयोग की अध्यक्षा का स्वागत किया तथा विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी।
कार्शाला में में लोक सेवा आयोग के विधि अधिकारी अनुज वर्मा, जिला न्यायालय ऊना की अधिवक्ता मीनाक्षी राणा व वीनस जसवाल ने घरेलू हिंसा के कानूनी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर सीडीपीओ ऊना कुलदीप सिंह दयाल, सीडीपीओ बंगाणा हरीश मिश्रा, सीडीपीओ अंब अनिल कुमार, पुलिस विभाग की ओर से एसआई सुमन शर्मा, एएसआई आशा देवी सहित अन्य उपस्थित रहे।

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