परमपाल कौर सिद्धू ने पंजाब सरकार को दिया करारा जवाब : पंजाब सरकार को जो कारवाई करनी है करें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, VRS को लेकर एप्लीकेशन में कुछ भी झूठ नहीं लिखा

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बठिंडा लोकसभा सीट से बीजेपी की प्रत्याशी और IAS अफसर से वीआरएस के लिए आवेदन करने वाली परमपाल कौर सिद्धू ने पंजाब सरकार को करारा जवाब दिया है। परमपाल कौर ने IAS से VRS ले ली थी, यानी समय से पहले रिटायरमेंट लेकर सियासत में एंट्री कर ली थी। इस सब के बीच पंजाब सरकार ने एक नोटिस जारी किया था और कहा था कि आप दोबारा ड्यूटी जॉइन कीजिए। परमपाल कौर ने पंजाब सरकार के नोटिस को लेकर बोला कि वे दोबारा ड्यूटी जॉइन नहीं करेंगी। क्योंकि वे रिटायर हो चुकी हैं। परमपाल कौर ने कहा कि पंजाब सरकार को जो कारवाई करनी है करें, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने उन्हें रिटायर कर दिया है।  इसलिए वे अब जो मर्जी करे। परमपाल कौर ने कहा कि VRS को लेकर एप्लीकेशन में उन्होंने कुछ भी झूठ नहीं लिखा। उन्होंने कहा कि एप्लीकेशन में उन्होंने लिखा था कि वे अपनी बूढ़ी मां के पास रहना चाहती हैं और जिंदगी में उनके कुछ और भी प्लान हैं।

परमपाल कौर ने कहा कि जब पंजाब में सरकार ही विवादित है तो इसमें मैं कुछ नहीं कर सकती।  पंजाब में तैनात एक आईपीएस अधिकारी, जब सेवा से मुक्त हुए थे, तो उन्होंने लिखा था कि वह पिंजरे से आजाद हो गए हैं। परमपाल कौर ने कहा कि वह नामांकन दाखिल करेंगी और चुनाव भी लड़ेंगी।

पंजाब सरकार से मचा घमासान :   परमपाल कौर सिद्धू शिरोमणि अकाली दल नेता सिकंदर सिंह मलूका की बहू हैं, लेकिन अब परमपाल कौर बीजेपी में हैं और बठिंडा से बीजेपी की तरफ से चुनाव भी लड़ रही हैं। 7 मई को पंजाब सरकार ने परमपाल कौर को नोटिस जारी कर कहा था कि तुरंत अपनी ड्यूटी जॉइन करें। क्योंकि उनको तीन महीने के नोटिस पीरियड से छूट नहीं दी गई है। वे ड्यूटी से रिलीव या रिटायर नहीं मानी जा सकती हैं। ड्यूटी जॉइन न करने की सूरत में उनको उचित कार्रवाई की चेतावनी जारी की गई है।

अप्रैल में बीजेपी में हुईं थी शामिल :   बता दें कि पंजाब कैडर की आईएएस अधिकारी परमपाल कौर अप्रैल में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई थीं। बीजेपी में शामिल होने से ठीक पहले उन्होंने मुख्य सचिव अनुराग वर्मा को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने परमपाल कौर का इस्तीफा मंजूर नहीं किया है।  इसके बावजूद, वह भाजपा में शामिल हो गईं और बाद में उन्हें बठिंडा लोकसभा क्षेत्र के लिए भाजपा का उम्मीदवार नामित किया गया, जिसकी सीएम मान ने आलोचना की।  सीएम मान ने सार्वजनिक रूप से उनके फैसले पर सवाल उठाया और कहा कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। तब केंद्र ने एक पत्र के साथ हस्तक्षेप किया जिसमें कहा गया कि भर्ती प्राधिकारी के रूप में भारत सरकार ने वास्तव में उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. अब इसे लेकर विवाद चरम पर है।

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