भारत और रूस ने डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आधुनिक बुनियादे ढांचे को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया है। ब्रिक्स देशों के बीच इंटरनेशनल संबंधों को विस्तार देते हुए भारत और रूस डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने पर सहमत हुए हैं। दोनों देशों के बीच डिजिटल इकोनामी के लिए साझेदारी की गई है। दोनों देशों ने हाल ही में आधुनिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास की जरूरत को समझा है और इसे लेकर साझेदारी भी की है।
करेंसी से संबंधित निर्णय जल्द होंगे : भारत और रूस के बीच डिजिटल इकोनामी ब्लॉक लंबे समय से ब्रिक्स की मूल मुद्रा के संभावित फैसले से जुड़ा हुआ है। करेंसी के ब्लॉकचेन पर आधारित होने की अफवाह भी है। माना जा रहा है कि इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था क्षेत्र में आगे के काम से लाभ हो सकता है। अब दोनों देशों ने उस दिशा में प्रयास करने और द्विपक्षीय प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से व्यक्त की है। मॉस्को सिटी सरकार के मंत्री और भारत के साथ सहयोग के लिए बिजनेस काउंसिल बोर्ड के अध्यक्ष सर्गेई चेरेमिन ने हाल ही में स्मार्ट सिटीज इंडिया एक्सपो कार्यक्रम में कहा कि दोनों देश सबसे आधुनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण, सुरक्षित और आरामदायक शहरी वातावरण बनाने के सामान्य लक्ष्य पर एकजुट हैं।
रूस और भारत ने डिजिटल अर्थव्यवस्था का विकास : 2023 में ब्रिक्स गठबंधन की बैठकों में जियो पॉलिटिकल मुद्दे ही हावी रहे। दरअसल ब्रिक्स गठबंधन ने पिछले साल के वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद सुर्खियां बटोरीं, जब इसमें छह देशों को जोड़ने की योजना का ऐलान किया गया। दो दशक पहले दक्षिण अफ्रीका को शामिल करने के बाद से यह ब्लॉक की पहली ऐसी योजना थी। 2024 की ओर बढ़ते हुए सभी की निगाहें ब्रिक्स मुद्रा के विकास पर हैं। हालांकि परियोजना का विवरण नहीं मिल पाया है। लेकिन ऐसी अफवाह है कि ब्रिक्स देशों की करेंसी को लेकर काम चल रहा है। ब्रिक्स पहल के बीच ही रूस और भारत दोनों ने डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए साझेदारी की है, जो कि महत्वपूर्ण है।