भारत ने पाकिस्तान में शहीद भगत सिंह पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है और इस्लामाबाद तक अपने विरोध को लेकर आगाह किया है। शुक्रवार को लोकसभा विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि नई दिल्ली इस्लामाबाद के समक्ष ‘सांस्कृतिक विरासत पर हमलों, बढ़ती असहिष्णुता और पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति सम्मान की कमी से संबंधित मुद्दे उठा रहा है।’
उन्होंने कहा, “भारत सरकार ने पाकिस्तान में शहीद भगत सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के बारे में हाल ही में आई खबरों पर गौर किया है और राजनयिक माध्यमों से इस घटना पर पाकिस्तान सरकार के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है।”
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह एक सवाल का जवाब दे रहे थे। मंत्री ने कहा कि सरकार और पूरा देश भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद भगत सिंह के अमूल्य योगदान को मानता है और उनका सम्मान करता है।
क्या है मामला?
पाकिस्तान की पंजाब सरकार के महाधिवक्ता असगर लेघारी ने पिछले महीने लाहौर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भगत सिंह के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि शहीद भगत सिंह की पुण्यतिथि हर साल भारत और विदेशों में मनाई जाती है, उनका सम्मान है।
टिप्पणी क्या थी?
पंजाब सरकार के महाधिवक्ता असगर लेघारी ने लाहौर हाईकोर्ट में कहा था कि ‘भगत सिंह एक क्रान्तिकारी नहीं बल्कि आज की भाषा में आतंकी थे।’ अदालत में कही गई इस बात को लेकर भारत ने विरोध दर्ज कराया है। यह सारा मामला लाहौर के शादमान चौक का नाम भगत सिंह किए जाने को लेकर चल रहा है। शादमान चौक से भगत सिंह का संबंध ऐतिहासिक रहा है। यह वह स्थान है जहां 23 मार्च, 1931 को प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी भगत सिंह को अंग्रेजों ने फांसी दी थी।
यह मुद्दा शादमान चौक के नामकरण को लेकर है। 2018 में लाहौर उच्च न्यायालय ने पाकिस्तानी सरकार को भगत सिंह के नाम पर चौक का नाम बदलने का निर्देश दिया था। हालांकि, सरकार इसका पालन करने में विफल रही, जिसके कारण 2024 में एक नोटिस जारी किया गया।