हिमाचल प्रदेश में 21 पुलों के लिए केन्द्र सरकार ने दी मंजूरी

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एएम नाथ । शिमला :। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई-III) के तहत हिमाचल प्रदेश के लिए 2024-25 के पहले चरण में 21 पुलों के निर्माण की मंजूरी दी दी है।

यह निर्णय सशक्त समिति की सिफारिशों और राज्य सरकार की प्रस्तुत अनुपालन रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। राज्य लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने यहां मंगलवार को बताया कि स्वीकृत पुल परियोजनाओं की कुल लंबाई 970.772 मीटर होगी और इन पर 140.90 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इनमें से 126.81 करोड़ रुपये का वित्तीय भार केंद्र सरकार वहन करेगी, जबकि शेष 14.09 करोड़ रुपये राज्य सरकार वहन करेगी। इन पुलों के निर्माण से विशेष रूप से हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, लाहौल-स्पीति और मंडी जिलों में ग्रामीण संपर्क को मजबूती मिलेगी।

उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत हमीरपुर जिले में बसी से सरकाघाट मार्ग पर चैंथ खड्ड, सीर खड्ड और लिंडी खड्ड पर पुलों का उन्नयन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, बक्कर खड्ड, जमली खड्ड और घुडविन खड्ड पर भी पुलों का निर्माण प्रस्तावित है। जिले के अन्य महत्वपूर्ण पुलों में लाल घर नाला, मंजही खड्ड, देही खड्ड, धलियारा खड्ड, मनेड खड्ड और कहुली खड्ड पर पुलों का उन्नयन किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिले में मौल खड्ड पर 40 मीटर लंबा पीएससी बॉक्स गर्डर पुल बनाया जाएगा। कुल्लू जिले में संज खड्ड पर दो स्टील ट्रस पुलों का उन्नयन किया जाएगा। लाहौल-स्पीति जिले में चौखांग नाला, चेनाब नदी, किशोरी नाला, तैलिंग नाला और मूरिंग नाला पर पुलों का अपग्रेडेशन किया जाएगा। वहीं मंडी जिले में पंडोह में ब्यास नदी पर 110 मीटर लंबे डबल-लेन मोटरेबल पुल का निर्माण किया जाएगा।

विक्रमादित्य सिंह ने इन परियोजनाओं को स्वीकृति देने के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार व्यक्त किया। विक्रमादित्य ने बताया कि यह मंजूरी कुछ विशेष शर्तों के साथ दी गई है ताकि निर्माण कार्य में उच्चतम गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके। राज्य सरकार पुल निर्माण से पहले जलग्रहण क्षेत्र की गणना, हाइड्रोलिक डेटा, भू-तकनीकी जांच और संरचनात्मक डिजाइनों का सत्यापन करेगी। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञों से युक्त एक पुल प्रबंधन प्रकोष्ठ का गठन किया जाएगा। सरकार स्वतंत्र निरीक्षकों की तैनाती करेगी और गुणवत्ता जांच के कठोर मानकों का पालन सुनिश्चित करेगी। इनमें पाइल इंटेग्रिटी टेस्ट और भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) मानकों के अनुसार स्वीकृति भार परीक्षण शामिल होंगे। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इन पुलों के निर्माण से दूरदराज के क्षेत्रों को सभी मौसमों में सड़क संपर्क मिलेगा, जिससे ग्रामीण समुदायों की आवाजाही सुगम होगी।

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