कर्मचारी महासंघ ने कर्मचारियों की मांगों को लेकर बुलन्द करेगा आवाज : हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ की राज्य कार्यकारिणी की बैठक संपन्न

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एएम नाथ। शिमला : हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ की राज्य कार्यकारिणी की बैठक रविवार को शिमला में महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में प्रदेशभर के विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि प्रदेश के कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर एक विस्तृत चार्टर तैयार कर सरकार को सौंपा जाएगा। इसके तहत मुख्य रूप से 11 फ़ीसदी महंगाई भत्ते (डीए) की बकाया राशि, छठे वेतन आयोग के एरियर का भुगतान, 4-9-14 टाइम स्केल की बहाली और लंबित मामलों का समाधान, कॉलेज और विश्वविद्यालय के शिक्षकों के लिए करियर एडवांसमेंट स्कीम को यूजीसी के आधार पर लागू करने जैसी मांगें शामिल रहेंगी।
संघ ने केंद्र सरकार द्वारा 2025 के बजट में 12.75 लाख तक की आय पर टैक्स छूट का स्वागत किया। लेकिन साथ ही एनपीएस (नई पेंशन योजना) कर्मचारियों के 9200 करोड़ रुपये की राशि को केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश को शीघ्र लौटाने की मांग उठाई, ताकि कर्मचारियों के 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया भुगतान को निपटाया जा सके। संघ ने राज्य सरकार से मांग की कि संविदा कर्मचारियों के लिए लागू किए गए कॉन्ट्रैक्ट एम्प्लॉइज सर्विस बिल को वापस लिया जाए। साथ ही, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) से वंचित विभागों, निगमों और बोर्डों के कर्मचारियों को भी इसका लाभ दिया जाए। महासंघ ने राज्य में यूपीएस (यूनिवर्सल पेंशन स्कीम) को लागू करने का विरोध किया और इसे बहाल न करने की मांग उठाई।
रिक्त पदों को भरने और पद समाप्त न करने की मांग :   संघ ने सभी विभागों, बोर्डों और निगमों में रिक्त पदों को शीघ्र भरने की मांग की। साथ ही, सरकार द्वारा पदों को समाप्त किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। महासंघ ने साफ कहा कि किसी भी पद को समाप्त करने से पहले स्टेकहोल्डर्स से सलाह ली जानी चाहिए।
एचआरटीसी कर्मियों और बिजली बोर्ड के मुद्दों पर चर्चा : बैठक में एचआरटीसी (हिमाचल सड़क परिवहन निगम) को रोडवेज का दर्जा देने और कर्मियों के ओवरटाइम भुगतान को शीघ्र जारी करने की मांग उठाई गई। वहीं, बिजली बोर्ड में 600 पदों को समाप्त किए जाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इन पदों को बहाल करने की मांग की गई।
महिला कर्मचारियों और अन्य भत्तों में सुधार की मांग : संघ ने मांग की कि सभी पात्र महिला कर्मचारियों को चाइल्ड केयर लीव दी जाए और सरकारी कर्मचारियों के लिए चिकित्सा भत्ते (मेडिकल अलाउंस) की राशि को केंद्र सरकार के पैटर्न पर बढ़ाया जाए। इसके अलावा, एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस) और अन्य भत्तों में भी केंद्र के समान वृद्धि की मांग की गई।
शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के मुद्दों पर चर्चा
बैठक में शिक्षा विभाग में 2017 के बाद नियुक्त 2500 प्रधानाचार्यों को नियमित करने, पीटीए शिक्षकों, कंप्यूटर और वोकेशनल शिक्षकों को पॉलिसी के तहत स्थायी करने की मांग की गई। वहीं, स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल एक्ट लागू करने की मांग उठाई गई।
संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने आगामी रणनीति के तहत फरवरी के अंतिम सप्ताह से प्रत्येक जिले में बड़े पैमाने पर जनरल हाउस आयोजित करने का निर्णय लिया। शिमला से इसकी शुरुआत की जाएगी और हर महीने दो जिलों में बैठकें की जाएंगी, ताकि संगठन को और मजबूत किया जा सके। इसके अलावा, महासंघ ने 11 फरवरी को हमीरपुर में बिजली बोर्ड द्वारा आयोजित महापंचायत को समर्थन देने और उसमें भाग लेने का निर्णय लिया।
प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि महासंघ जल्द ही मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को मांग पत्र सौंपेगा और सरकार से वार्ता की उम्मीद करेगा, ताकि कर्मचारियों की समस्याओं का शीघ्र समाधान हो सके। महासंघ का मानना है कि सरकार की ओर से सकारात्मक निर्णय न लेने की स्थिति में कर्मचारियों को आंदोलन के लिए भी तैयार रहना होगा।
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