डेराबस्सी से लापता हुए सात बच्चे पुलिस ने ढूंढे : बताया कैसे पहुंचे थे मुंबई – गले लगा रोने लगी माताएं

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डेराबस्सी  :  मोहाली के डेराबस्सी आठ दिन पहले सात बच्चे एकसाथ लापता हो गए थे। बच्चों के गुम होने के बाद परिवार परेशान था और बच्चों को ढूंढने के लिए दिन-रात एक कर दिए थे। वहीं पुलिस ने बच्चों को ढूंढने के लिए विशेष टीम बनाई थी।  लापता हुए सभी सात बच्चे मिल गए हैं। पुलिस ने सभी बच्चों को ढूंढ लिया है। हालांकि दो बच्चे पहले ही दिल्ली से रिकवर किए गए थे और शेष पांच बच्चे हैं उन्हें पुलिस ने मुंबई से ढूंढा निकाला है। मुंबई में मौजूद पांच बच्चों को डेराबस्सी पुलिस की एक टीम साथ लाकर बच्चों को परिजनों को सौंप दिया है। एएसपी डेराबस्सी वैभव चौधरी, थाना प्रमुख डेराबस्सी मनदीप सिंह की मौजूदगी में पांचों बच्चों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है। आठ दिन बाद अपने बच्चों को सीने से लगाकर उनकी माताएं की आंखों से आंसू छलक पड़े। सभी परिवारों ने पुलिस टीम का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने बच्चों को सुरक्षित मुंबई से उनके माता-पिता के पास पहुंचा दिया।

एएसपी डेराबस्सी वैभव चौधरी ने एएसआई केवल कुमार और हवलदार रणजीत सिंह की सराहना की और कहा कि इन दोनों ने दिन-रात मेहनत करके बच्चों को सुरक्षित उनके परिवारों तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों को पुलिस विभाग की ओर से विशेष सम्मान दिया जायेगा।  एएसपी ने बताया कि पूछताछ में यही बात सामने आई कि सभी सातों बच्चे घूमने की प्लानिंग कर मुंबई पहुंच गए थे। वे ट्रेन में बैठकर मुंबई कैसे पहुंच गए, उन्हें पता नहीं चला। मुंबई पहुंचने के बाद डरे-सहमे दो बच्चे वापस आए, जो दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली से उन्होंने परिवार वालों को फोन कर उन्हें दिल्ली से ले जाने की बात कही। इससे पता चला कि ये पांचों बच्चे अभी भी मुंबई में थे। डेराबस्सी पुलिस ने मुंबई पुलिस से संपर्क कर बच्चों को सुरक्षित रखने को कहा था, जिन्हें डेराबस्सी पुलिस रविवार को वापस ले गई है।

एएसआई केवल कुमार, हवलदार रणजीत सिंह दो बच्चों के पिता के साथ पांचों बच्चों को मुंबई से वापस लाने गए। एएसपी वैभव चौधरी ने कहा कि जो बच्चे घर से गए हुए थे, उनकी काउंसलिंग बहुत जरूरी है, ताकि वे दोबारा ऐसा न करें। इसके साथ ही बच्चों के माता-पिता की भी काउंसलिंग की जाएगी। क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय नहीं बिता पाते और बच्चे खुद को अकेला महसूस करते हैं। इस कारण बच्चे ऐसा कदम उठाते हैं।

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