एएम नाथ । शिमला : हिमाचल आर्थिक संकट से जूझ रहा है और हिमाचल सरकार का खजाना भी खाली है. वही अब हिमाचल सरकार की मंदिरों के खजाने पर नजर है। प्रदेश में 35 के करीब सरकार के अधीन मंदिर हैं और हिमाचल प्रदेश की सुक्खु सरकार ने मंदिरों को एक नया फरमान जारी किया है और सुखाश्रय ओर सुख शिक्षा योजना के लिए के लिए मंदिर से पैसे देने को कहा गया है। इसको लेकर विपक्ष हमलावर हो गया है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने ने हिमाचल सरकार को इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार एक तरफ सनातन धर्म का विरोध करती है। हिंदू विरोधी बयान देती रहती और दूसरी तरफ मंदिरों से पैसा लेकर सरकार की फ्लैगशिप योजना चलाना चाह रही है. मंदिरों से पैसा मांगा जा रहा है, अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि जल्दी से जल्दी पैसा सरकार को भेजा जाए।
भाजपा ने किया फैसले का विरोध, उठाए सवाल : इसको लेकर बाकायदा सभी जिला के डीसी को पत्र लिखा गया है, जिसमें उन्होंने मंदिरों से सुख आश्रय योजना और सुख शिक्षा योजना के लिए पैसा देने को कहा गया है जो कि गलत है। प्रदेश में 36 बड़े मंदिर हैं, जहा सरकार डीसी के मध्यम से मंदिरों के पैसे को सरकारी मंदिरों में देने के लिए दवाब बनाया जा रहा है। भाजपा सरकार के इस फैसले का विरोध करती है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि मंदिर और ट्रस्ट के लोगों के साथ आम जनता को भी सरकार के इस फैसले का विरोध करना चाहिए. वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि मंदिरों का पैसा केवल सनातन के कल्याण के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है. हिमाचल में कुछ ऐसे मंदिर हैं, जहां पर उनका रखरखाव करने के लिए भी पैसे नहीं है. ऐसे में सरकार अपनी योजनाएं पूरी करने के लिए इन मंदिरों का पैसा लेना सही नहीं है।
मंदिरों के पैसा का अच्छे कार्यों में प्रयोग – कांग्रेस के विधायक संजय अवस्थी ने कहा कि पहले भी मंदिरों के पैसा का प्रयोग अच्छे कार्यों में किया जाता रहा है. पूर्व की भाजपा सरकार जो आरोप लगा रही है. उनके समय में भी मंदिरों के पैसे का प्रयोग किया गया है. इस सरकार में जनहित के कार्यों में मंदिरों के पैसे का प्रयोग किया जा रहा है. विपक्ष केवल भृमक प्रचार कर सनसनी फैलाने का काम कर रहा है।
सीएम के मीडिया एडवाइजर ने क्या कहा? वहीं इस मामले को लेकर सीएम के मीडिया एडवाइजर नरेश चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार के अधीन जो मंदिर हैं वहां पर जो चढ़ावा आता है, उस चढ़ावे को सही प्रयोग करने के लिए मुख्यमंत्री ने यह फैसला लिया है. यह पैसा किसी पार्टी के कार्यक्रम में नहीं लगाया जा रहा है।