दिल्ली में पिछले 5 सालों से आम आदमी पार्टी जिस तरह से सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में पेश न करने से बच रही थी, अब उसकी मश्किलें ज्यादा बढ़ सकती है. बीजेपी की नई सरकार ने सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने का फैसला किया है।
इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के सभी प्रमुख विभाग शामिल हैं. आबकारी विभाग से लेकर मुख्यमंत्री आवास के निर्माण तक की जांच की रिपोर्ट इसमें शामिल है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस रिपोर्ट के पेश होने पर कौन-कौन से विभाग दायरे में आएंगे और उन विभाग के तत्कालीन मंत्रियों की किस तरह मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
इन 6 विभागों पर गिर सकती है गाज-
1. आबकारी विभाग
2. पीडब्ल्यूडी विभाग
3. स्वास्थ विभाग
4. शिक्षा विभाग
5. यमुना
6. डीटीसी विभाग
सीएजी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई अहम फैसले कैबिनेट या दिल्ली उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना मनमाने ढंग से लिए गए. शिकायतों के बाद भी सभी संस्थाओं को बोली लगाने की इजाजत दी गई. इन 14 लंबित सीएजी रिपोर्ट्स में से 11 अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री काल से संबंधित हैं. ये रिपोर्ट्स डीटीसी, सार्वजनिक स्वास्थ्य और मोहल्ला क्लिनिक, राज्य सार्वजनिक उपक्रमों सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर हैं. इन रिपोर्ट्स में AAP सरकार की बड़ी चूक और असफलताओं का विवरण होने की बात कही जा रही है.
सरकारी खजाने को 2026 करोड़ रुपये का नुकसान
आरोप है सीएजी की रिपोर्ट में शराब घोटाले से सरकारी खजाने को 2026 करोड़ रुपये का नुकसान की बात कही गई है. शराब नीति को लागू करने में चूक होने की बात कही गई है. ग्रुप ऑफ मिनिस्टर ने विशेषज्ञ पैनल की सिफारिश को नजरअंदाज कर देने की बात सामने आई है. आबकारी नीति मामले की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार ने इस मामले में एक्सपर्ट पैनल की सिफारिश को नजरअंदाज किया था जो कंपनी पहले से ब्लैकलिस्टेड थी, उन्हें शराब बेचने का लाइसेंस सरकार ने दिया. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. क्योंकि रिपोर्ट अगर दिल्ली विधानसभा के पटल पर आती है तो उसके आधार पर जांच भी शुरू की जा सकती है.
सरकारी आवास के निर्माण में अनियमितता के आरोप
रिपोर्ट अभी टेबल नई हुई है. लेकिन बीजेपी का आरोप है कि सीएजी की रिपोर्ट में आप सरकार में मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल पर सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास में मुख्यमंत्री के तौर पर रहने के दौरान निर्माण में वित्तीय अनियमितता को लेकर सवाल उठाए गए हैं. CAG के निष्कर्षों का हवाला देते हुए भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है, जिसकी लागत 8 करोड़ रुपये से बढ़कर 32 करोड़ रुपये हो गई है. बीजेपी का ये भी आरोप है कि रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि शिकायतों के बाद भी सभी संस्थाओं को बोली लगाने की अनुमति दी गई और लाइसेंस जारी करने से पहले बोली लगाने वालों की वित्तीय हालत पर ध्यान नहीं दिया गया.
सतेंद्र जैन की बढ़ सकती है मश्किलें
आरोप ये भी है कि 2022 में जब अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास का रिनोवेशन चल रहा था, उस वक्त पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन थे जिन्होंने अरविंद केजरीवाल की सरकारी आवास की रिनोवेशन की परमिशन दी. सीएजी की रिपोर्ट में बड़े स्तर पर अनियमिता की बात कही गई है जिसके कारण सत्येंद्र जैन की मुश्किल बढ़ सकती हैं।
स्वास्थ विभाग में गड़बड़ी का आरोप
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीएजी की रिपोर्ट स्वास्थ विभाग से जुड़ी गड़बड़ियों का भी जिक्र है. आरोप है कि केजरीवाल सरकार के दौरान की गई पिछले 10 सालों में एक भी नई डीटीसी बसें नहीं खरीदी गई जबकि प्राइवेट बसों को लाया गया, जिनकी मेंटेनेंस पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए. इसके अलावा 2010 के बाद से डीटीसी के खाते में एक भी नहीं बस नहीं लाई गई. अगर कैग की रिपोर्ट में वाकई इस तरीके की गड़बड़ियां ट्रांसपोर्ट विभाग को लेकर निकलते हैं तो उसे दौरान तत्कालीन ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर की भी मुश्किल है बढ़ सकती है।
यमुना की सफाई में गड़बड़ी का आरोप
कैग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर पेश करने के लिए लगातार भाजपा लंबे वक्त से लड़ाई लड़ रही है. भाजपा नेताओं का आरोप है कि यमुना की सफाई पर करोड़ों रुपये जो केंद्र सरकार से मिला और सरकार ने खर्च नहीं किया और नालों की सफाई जो करनी चाहिए थी वह नहीं की और उन्नाव का पानी सीधा यमुना में गिरा जिसके कारण यमुना पोल्यूटेड हुई. हालांकि इस बीच सरकार ने यमुना की सफाई को लेकर विज्ञापन पर करोड़ों खर्च किए।
शिक्षा विभाग में गड़बड़ी का आरोप
बीजेपी का आरोप है कि सीएजी की रिपोर्ट में यह भी अनियमिताएं पाई गई है कि दिल्ली सरकार में स्कूलों में क्लासरूम बनाने में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां करें जिस क्लास रूम की कास्ट 6 से 12 लाख रुपये में बन जाना चाहिए था उसको 22 लख रुपये में बनाया गया।