शिमला 26 जून : आईजीएमसी शिमला में मनोचिकित्सा विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस मनाया गया। इस वर्ष (2023) का थीम People First: Stop Stigma and Discrimination, Strengthen Prevention है।
इस अवसर पर मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. दिनेश दत्त शर्मा, सहायक प्रोफेसर मनोचिकित्सा डॉ. निधि शर्मा और सहायक प्रोफेसर मनोचिकित्सा डॉ. रवि शर्मा ने मस्तिष्क विकार के रूप में लत के विभिन्न पहलुओं और इस के समय पर उपचार की आवश्यकता के बारे में बात की। इस के इलाज़में विभिन्न चरण शामिल होते हैं जिनमें हर चरण पर अलग-अलग दवाओं की आवश्यकता होती है।
डॉ. दिनेश शर्मा ने नशे से उबर चुके लोगों को समाज में पुनः शामिल होने के दौरान झेलने वाले कलंक और भेदभाव के बारे में भी बात की और ठीक होने की प्रक्रिया के दौरान वैकल्पिक आनंददायक रुचि विकसित करने पर जोर दिया। इस प्रक्रिया में, परिवार और समुदाय का समर्थन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ताकि मरीज़ नियमित उपचार के लिए आने का साहस जुटा सकें। इसके बाद ओपियोइड/चिटा की लत वाले उन रोगियों ने अपने अनुभवों को साझा किया गया जो नियमित उपचार और परामर्श के साथ 6 महीने से 1 वर्ष की अवधि से ठीक हैं और नशा नहीं कर रहे हैं। इन्होंने दूसरे मरीजों जो अभी पूरी तरह नशे से मुक्त नहीं है उन का होसला बढ़ाया।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन और मस्तिष्क विकार से पीड़ित लोगों के खिलाफ कलंक और भेदभाव को दूर करने के लिए जागरूकता फैलाने के साथ किया गया।