गढ़शंकर। आठ वर्षीय बच्ची रावी बंदेशा कशमीर से कन्या कुमारी के लिए साईकल राइड पर बेटी बचाओ के सलोगन के साथ बल्र्ड रिकार्ड बनाने निकली है। रावी बंदेशा रोजना अस्सी से एक सौ वीस किलोमीटर तक साईकल चला रही है। इस दौरान उनके साथ उनके पिता भी साईकल पर चल रहे है। 4500 किलोमीटर का कशमीर से कन्या कुमारी का सफर रावी करीव दो महीने में पूरा करेगी। रावी बंदेशा को जिला पटियाला की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की एंबेसडर बनाया गया है।
रावी बंदेशा अपने पिता सिमरनजीत बंदेशा के साथ साईकल राइड पर आठ दिन पहले कशमीर से चली थी और आज वह गढ़शंकर पहुंचे। गढ़शंकर पहुंचने पर आज आर्दश वैल्फेयर सुसायिटी के अध्यक्ष सतीश सोनी, उपाध्यक्ष किरन बाला व मीडिया प्रभारी सरपंच मनजीत राम व हिंदू शक्ति सेना के पंजाब प्रभारी राहुल अग्रिहोत्री ने रावी बंदेशा का शानदार स्वागत किया और समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। रावी बंदेशा व उनके पिता सिमरनजीत बंदेशा का साथ देने के लिए साईकलिस्ट रूपेश बाली व डा. अमनदीप ने चब्बेवाल पहुंचे और वह दोनों चंडीगढ़ तक उनके साथ साईकल पर चलेगें। रावी का कहना है कि मुझे साईकल राइड बहुत पसंद है और चार वर्ष की थी तव से साईकल चलाती है और पिता को साईकल चलाते देख साईकल चलाना शुरू किया था तो अव साईकल चलाना मेरा पैंशन बन चुका है। मुझे रोजाना 80 से 120 किलोमीटर तक साईकल रोजाना चलाने में किसी भी तरह की समस्या नहीं आती। साईकलिस्ट रूपेश बाली ने कहा कि रावी का साथ देने के लिए आज आए है रोजाना 100 किलोमीटर साईकल गत 192 दिन से लगातार चला रहा हंू और लोगो को कहीं भी नजदीक काम पर जाना हो तो साईकल चलाना चाहिए साईकल चलाने से शूगर, बीपी, केलसट्रोल बढऩे की समस्या नहीं आती और घुटनों के दर्द की भी समस्या नही आती। इसके ईलावा वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अहम भुमिका अदा कर सकते है। डा. अमनदीप ने बताया कि आज रावी को कंपनी देने के लिए चब्बेवाल से हम उनके साथ चंडीगढ़ तक साईकल चलाएगें। मोहाली में मैं बतौर फिजियाथेरापिसट काम करती हूं और ट्राईसिटी में मरीजों को चैकअप करने व फिजियोथ्रेपी करने के लिए 70 से 80 किलोमीटर साईकल चलाती हूं और लोगो को साईकल चलाने के लिए प्रेरित करती हूं।
चार साल में साईकल चलाना शुरू कर दिया था : रावी ने अपने पिता सिमरनजीत बंदेशा को साईकल चलाते देख चार वर्ष की आयू में साईकल चलाना शुरू करते हुए बेटी बचाओं की मुहिंम लगातार आगे बढ़ाना जारी रखा हुया है। इससे पहले रावी शिमला से मनाली वाया नारकंडा, चितुकल लेक, काजा व लसार तक 800 किलोमीटर तक साईकल चला कर नैशनल रिकार्ड बना चुकी है। जिसके चलते रावी का नाम इंडियन बुक आफ रिकार्डज में नाम दर्ज है। इस समय रावी दूसरी कक्षा की छात्रा है और अपनी किताबें साथ रखती है तो सुवह रोजाना एक घंटा पढ़ाई भी करती है। रावी के पिता सिमरनजीत सिंह बंदेशा पंजाब पुलिस में कार्यारत है। रावी के सभी साईकल राइड में उनके साथ रहते है। रावी के साईकल राइड में नए अयाम सथापित करने के लिए सुपने को पूरा करने के लिए आर्थिक सहायता की सरकार व सवयं सेवी संस्थाओं से दरकार है। सरकार या समाजसेवी संस्थाए रावी की सहायता के लिए आगे आए तो रावी आने वाले समय बल्र्ड स्त्तर के कई रिकार्ड बना सकती है।
रावी के पिता सिमरनजीत बंदेशा : बल्र्ड की पहली लडक़ी है रावी जो इतनी कम आयू में इतने लंबी साईकल राइड पर निकली है। बेटी रावी चार वर्ष की थी तव से साईकल चला रही है। हम लोगो को संदेश बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं का संदेश देते है और दुनिया को प्रदूषण मुकत करने के लिए साईकल चलाने व पौदे लगाने का संदेश देते है। लड़कियों को पढ़ाने के साथ साथ खेलों के साथ जोडऩे का रावी का संदेश काफी असर कर रहा है। लोग रावी को साईकल चलाते देख अपने बच्चियों को भी साईकल चलवाने लगे है।