एडमिंटन (कनाडा)। कनाडा की पुलिस ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के तीन हत्यारोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार किए गए आरोपितों का संबंध निज्जर की हत्या के अलावा कनाडा में ही की गईं तीन हत्याओं से भी है। इनमें एडमिंटन में ही 11 वर्षीय बच्चे की हत्या भी शामिल है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों की पहचान करनप्रीत सिंह, कमलप्रीत सिंह और करण बराड़ के रूप में हुई है। ये पंजाब और हरियाणा के नागरिक बताए जा रहे हैं। सभी वर्ष 2021 में टेंपरेरी और स्टूडेंट वीजा पर कनाडा आए थे लेकिन इनमें से किसी ने भी वहां पढ़ाई के लिए दाखिला नहीं लिया था। यही नहीं, सभी आरोपितों का संबंध लारेंस बिश्नोई गिरोह से बताया जा रहा है।
निज्जर की गोली मारकर कर दी थी हत्या : पुलिस का मानना है कि सरे में निज्जर की हत्या के दौरान आरोपितों ने अलग-अलग भूमिका निभाई थी। इनमें निज्जर को गोली मारना, घटना को अंजाम देने के समय गाड़ी चलाना और निज्जर की मौजूदगी के बारे में जानकारी देना शामिल है।
45 वर्षीय कनाडाई नागरिक हरदीप निज्जर की 18 जून 2023 को उस समय हत्या कर दी गई थी जब वह सरे में गुरु नानक सिख गुरुद्वारा में माथा टेकने के बाद घर लौट रहा था। इस घटना के बाद अगस्त माह में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद को संबोधित करते हुए निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय एजेंसियों के हाथ होने का आरोप लगाया था।
कनाडा ने भारत पर लगाए थे आरोप : हालांकि भारत ने ट्रूडो के दावे को बेतुका बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया था।उधर, 20 सितंबर 2023 को कनाडा के ही विनीपैग में 39 वर्षीय सुखदूल ¨सह गिल की 11 गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। सुखदूल का दूसरा नाम सुक्खा दुनके बताया जा रहा है जोकि भारत में दविंदर बंबीहा गिरोह का सदस्य था। गिल पंजाब में कई आपराधिक घटनाओं में वांछित था।
इसके बाद नौ नवंबर 2023 को एड¨मटन में ही 41 वर्षीय हरप्रीत उप्पल के 11 वर्षीय बेटे की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। इन हत्याओं में भी गिरफ्तार किए आरोपितों का हाथ बताया जा रहा है। यहां बता दें कि निज्जर खालिस्तानी आतंकी था और खालिस्तान टाइगर फोर्स का चीफ था।
कई सालों से कनाडा में रह रहा था निज्जर : वह बीते कई सालों से कनाडा में रह रहा था और वहां से भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा था। निज्जर को भारत ने 2020 में आतंकी घोषित किया था। कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों की मौजूदगी को लेकर भारत लंबे समय से वहां की सरकार से नाराजगी जताता रहा है।