जालंधर : कांग्रेस पार्टी के विधायक परगट सिंह ने मंगलवार को भगवंत मान सरकार की मंशा और 2015 के बेअदबी मामलों में न्याय दिलाने में हो रही देरी पर गंभीर चिंता जाहिर की है। एमएलए ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद डेरा सच्चा सौदा चीफ से जुड़ी केस फाइलों को दबा दिया गया।
कांग्रेस विधायक ने कहा, ‘ढाई साल से ज्यादा समय तक डेरा चीफ राम रहीम के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी नहीं दी गई। विधानसभा में बार-बार सवाल उठाए गए, लेकिन सरकार चुप रही।’ इतना ही नहीं परगट ने कहा कि 95 विधायकों में से एक भी आप के विधायक ने इस मामले पर कभी भी आवाज नहीं उठाई।
भगवंत मान को सौंपी गई थी फाइलें – परगट सिंह
कांग्रेस विधायक ने कहा कि डेरा अनुयायियों के खिलाफ मामले आप से जुड़ी एक साजिश के तहत पंजाब से बाहर ट्रांसफर किए गए थे और यहां तक कि वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने भी सार्वजनिक रूप से इस साजिश का पर्दाफाश किया था। उन्होंने कहा कि मई 2022 में आप सरकार के सत्ता में आने के बाद राम रहीम के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगने वाली फाइल मुख्यमंत्री भगवंत मान को सौंपी गई। उन्हीं के पास में गृह विभाग भी है। एमएलए ने कहा, ‘मैं इस मामले को लेकर दिसंबर 2022 में उनसे मिला था। मैंने विधानसभा में भी तीन बार यह मुद्दा उठाया, फिर भी कुछ नहीं हुआ।’
परगट सिंह ने कांग्रेस की स्थिति भी साफ की और कहा कि सत्ता में रहते हुए पार्टी ने सख्त कार्रवाई की थी। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस सरकार ने जस्टिस रणजीत सिंह आयोग का गठन किया था और जांच शुरू की थी। राहुल गांधी ने पंजाब का दौरा किया और लोगों को भरोसा दिया कि न्याय मिलेगा। जब कार्रवाई स्लो हुई, तो कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्री को बदल दिया और एसआईटी जांच में तेजी ला दी।’
परगट सिंह ने शिअद पर साधा निशाना
कांग्रेस पार्टी के विधायक ने आगे कहा कि जब पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह ने बादल परिवार के साथ में समझौता किया और जांच को पटरी से उतार दिया तो न्याय की मांग करने वाले कांग्रेस विधायकों के एक ग्रुप ने पार्टी के आलाकमान से संपर्क साधा और नेतृत्व में बदलाव चाहा। उन्होंने शिअद की भी आलोचना करते हुए कहा, ‘सुखबीर बादल ने एक बार भी डेरा प्रमुख का नाम नहीं लिया क्योंकि उनकी एकमात्र चिंता अपनी बठिंडा सीट बचाना है, गुरु साहिब की बेअदबी के लिए न्याय दिलाना नहीं।’