एएम नाथ । राज्य चुनाव आयोग ने प्रदेश के सभी उपायुक्तों को नगर निकाय चुनावों के लिए 15 जुलाई तक आरक्षण रोस्टर तय करने के निर्देश दिए हैं। पहले समय सीमा 11 जुलाई निर्धारित की गई थी। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जारी पत्र में उपायुक्तों को तय समय सीमा में आरक्षण रोस्टर तय न करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
आयोग के सचिव की ओर से जारी पत्र में उपायुक्तों को कहा गया है कि चुनावों के लिए उपायुक्तों का पर्यवेक्षण और नियंत्रण (सुपरविजन एंड कंट्रोल) राज्य चुनाव आयोग के पास ही है। इसलिए इन आदेशों को हल्के में न लिया जाए। वीरवार को शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों के मतदाताओं की वास्तविक संख्या का डाटा उपलब्ध न होने के कारण उपायुक्तों को आरक्षण रोस्टर स्थगित करने के आदेश जारी कर दिए थे। हालांकि राज्य चुनाव आयोग की नाराजगी के बाद आदेश वापस ले लिए गए।
राज्य चुनाव आयोग की ओर से जारी पत्र में हवाला दिया गया है कि हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल एक्ट 1994 की धारा 281, हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल इलेक्शन रूल्स 2015 की धारा 9,9 ई और हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल इलेक्शन रूल्स 2012 की धारा 32 में चुनाव करवाने के लिए उपायुक्तों का सुपरविजन और कंट्रोल पूरी तरह राज्य चुनाव आयोग के पास है। इस लिए चुनाव आयोग को किसी सख्त एक्शन के लिए मजबूर न किया जाए। चुनाव आयोग की ओर से जारी इस पत्र के बाद सभी उपायुक्तों को 15 जुलाई तक आरक्षण रोस्टर तय करना होगा।