हिमाचल प्रदेश फॉरेंसिक सेवाएं निदेशालय, जुन्गा, जिला शिमला ने आज ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन फोरेंसिक्स-फ्यूचर रोड़ मैप टू क्रिमिनल इनवेस्टीगेशन’ विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला जुन्गा के अधिकारियों व कर्मचारियों ने प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया, जबकि क्षेत्रीय विज्ञान प्रयोगशाला उत्तरी रेंज धर्मशाला, मध्य रेंज मंडी, जिला फोरेंसिक इकाई बिलासपुर, बद्दी और नूरपुर के अधिकारी और कर्मचारी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।
निदेशालय के प्रवक्ता ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है, जिसका उद्देश्य ऐसे सिस्टम विकसित करना है, जो आमतौर पर मानव बुद्धि की आवश्यकता वाले कार्यों को करने में सक्षम हों। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से मशीनें डेटा का विश्लेषण, पैटर्न की पहचान एवं न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ सटीक भविष्यवाणी कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विभिन्न न्यायालयिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है, जिसमें साइबर अपराध विश्लेषण, चेहरे की पहचान, डिजिटल फॉरेंसिक्स, स्पीच व वॉइस विश्लेषण, दस्तावेज विश्लेषण, ओटोमेटिड फिंगरप्रिंट विश्लेषण और डीएनए मिलान शामिल हैं।
उन्होंने गूगल डीपमाइंड के अल्फाफोल्ड मॉडल पर चर्चा की जिसने दवा खोज अनुसंधान के लिए थ्री-डी प्रोटीन संरचना भविष्यवाणी में क्रांति ला दी है। उन्होंने बताया कि इस तरह के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित तंत्र का उपयोग डी.एन.ए. प्रोफाइलिंग, विषाक्त पदार्थों का पता लगाने और जैविक नमूनों से दवा विश्लेषण के लिए किया जा सकता है।
निदेशालय फोरेंसिक्स सेवाएं की निदेशक डॉ. मीनाक्षी महाजन हिमाचल प्रदेश ने न्यायालयिक विशेषज्ञों को नवीनतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।