होशियारपुर, 20 दिसंबर : डिप्टी डायरेक्टर बागवानी जसविंदर सिंह ने बताया कि आलू की फसल के लिए जिला होशियारपुर अहम स्थान रखता है। मौसम के मिजाज को देखते हुए पंजाब में आलू की फसल को भविष्य में पिछेती झुलसा रोग आने की संभावना होने के कारण नवंबर माह के दौरान बादल लगने व हल्की बारिश होने से आलू की फसल में झुलसा रोग होने के लिए वातावरण बहुत अनुकूल था।
डिप्टी डायरेक्टर बागवानी ने बताया कि आलू की फसल के इससे बचाव के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि आलू की किस्म कुफरी पुखराज व कुफरी चंद्रमुखी पर यह बीमारी ज्यादा आती है। जिन किसान भाईयों ने आलू की फसल में अब तक फफूंदनाशक दवाई का छिडक़ाव नहीं किया है व जिनकी फसल में अब तक पिछेती झुलसा रोग की बीमारी नहीं है, उन सभी किसानों को सलाह दी जाती है वे आलू की फसल को एंट्राकोल / इंडोफिल आम-45 / कवच आदि दवाईयों को 500 से 700 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी में घोल कर सप्ताह के अंतराल में स्प्रे करें। उन्होंने बताया कि जिन खेतों में यह बीमारी आ चुकी है, वहां किसानों को रिडोमिल गोल्ड / सैक्टिन 60 डब्लयू जी / कारजैट एम-8, 700 ग्राम या रीवस 250 एस.सी 250 मिलीलीटर या एक्यूएशन प्रो 200 मिलीलीटर प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लीटर पानी में घोल कर 10 दिनों के अंतराल में स्प्रे करने की जरुरत है। उन्होंने किसानों को कहा कि वे इस बात का विशेष ध्यान रखें कि एक ही फफूंदीनाशक का बार-बार छिडक़ाव न करें बल्कि दवाई बदल कर स्प्रे करें। इसके प्रयोग से आलू की फसल को इस रोग से बचाया जा सकता है।
आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए किसानों को फसल पर छिडक़ाव करने का परामर्श
Dec 20, 2023