जालंधर : पंजाब के गृह विभाग ने पुलिस-ड्रग माफिया सिंडिकेट में बर्खास्त किए जा चुके इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह खिलाफ हुई 14 विभागीय जांचों में क्लीन चिट देने वाले अधिकारियों के नाम भी मांगे गए हैं। पंजाब के गृह विभाग ने इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह मामले में पुलिस को दोबारा लेटर लिखा है। जिसमें इंद्रजीत सिंह के पूरे सेवाकाल की जांच करने के आदेश दिए हैं।
अब तक की पुलिस जांच में बर्खास्त किए जा चुके आईजी राजजीत सिंह के तहत विभिन्न जिलों में इंद्रजीत की पोस्टिंग के लगभग 14 महीनों पर केंद्रित थी। जहां उसे कथित रूप से अनुचित लाभ दिया गया था। इंद्रजीत 1986 में एक कॉन्स्टेबल के रूप में पंजाब पुलिस में शामिल हुआ था। बारी से पहले पदोन्नति मिली और ड्रग तस्करी के आरोप में जून 2017 में बर्खास्त होने पर इंस्पेक्टर था। मुख्यमंत्री की स्वीकृति से जारी पंजाब गृह विभाग ने अपने संशोधित आदेशों में हाल ही में सौंपी गई पुलिस की जांच रिपोर्ट को अधूरा बताते हुए उस पर भी असंतोष व्यक्त किया है। संशोधित आदेशों में इंद्रजीत के पूरे सेवा रिकॉर्ड और विभागीय पूछताछ, पदोन्नति, पुरस्कार आदि में उसे दिए गए कथित पक्षपात के बारे में पूछा गया है।
डीजीपी को गृह विभाग ने लेटर लिख कहा- आपके द्वारा संदर्भित पत्र के तहत भेजी गई जानकारी पूरी नहीं है। इसलिए, आपसे अनुरोध है कि निम्नलिखित जानकारी तुरंत भेजें – उस अधिकारी का नाम जिसने आरोपी इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह को तरनतारन जिले और बाद में होशियारपुर में ट्रांसफर करने की मंजूरी दी। जब तबादले हुए तब दोनों जिलों के मुखिया राजजीत सिंह एसएसपी थे।
गृह विभाग ने इंद्रजीत को दोहरी पदोन्नति देने के संबंध में भी ब्योरा मांगा है। इसने यह पता लगाने के लिए जांच का आदेश दिया है कि इंद्रजीत को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन कैसे मिला और गंभीर आरोपों के बावजूद विभागीय कार्रवाई में उसे कैसे छोड़ दिया गया। इसके अलावा, नियमित निरीक्षकों की उपलब्धता के बावजूद उन्हें सीआईए इंस्पेक्टर तरनतारन के रूप में तैनात किया गया था।