चंडीगढ़ : केन्द्रीय जांच एजेंसी ईडी के द्वारा एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए करीब 1625 करोड़ रुपये के बैंक घोटाला मामले में शुक्रवार 15 दिसंबर को करीब एक दर्जन लोकेशन में सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। जांच एजेंसी के वरिष्ठ सूत्र के मुताबिक यह सर्च ऑपरेशन दिल्ली और पंजाब में विशेष तौर पर अंजाम देते हुए आरोपियों और उसकी कंपनी से जुड़े दस्तावेजों और अन्य सबूतों को इकठ्ठा किया गया। हालांकि इस मामले में पिछले कुछ समय पहले ही सर्च ऑपरेशन हुए थे और उसके बाद दो ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जो करोड़ों रुपए के बैंक लोन घोटाले को अंजाम देने के साथ-साथ उनकी पहचान अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक यूनिवर्सिटी के संस्थापक सदस्य के तौर पर हैं।
अशोका यूनिवर्सिटी के दो पूर्व संस्थापक सदस्यों को दो महीना पहले गिरफ्तार किया गया था।। उन दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद जब पूछताछ की गई थी तो उसके आधार पर ही कुछ इनपुट्स जांच एजेंसी के हाथ लगे, जिसके बाद 15 दिसंबर को एक बार फिर सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। जांच एजेंसी के सूत्र बताते हैं कि इस बैंक लोन फर्जीवाड़ा को अंजाम देने वाले मुख्य साजिशकर्ता रहें विनीत गुप्ता और प्रणव गुप्ता ये दोनों आरोपी सगे भाई हैं और अशोका यूनिवर्सिटी के फाउंडर सदस्य भी रहे हैं।
हालांकि इस बैंक लोन फर्जीवाड़ा मामले में जब केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने साल 2021 के 29 दिसंबर को ये मामला दर्ज किया था और जनवरी 2022 में जब सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया था। उसके बाद इन दोनों संस्थापक सदस्यों ने यूनिवर्सिटी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बाद में जांच एजेंसी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इस मामले को दर्ज कर तफ्तीश का दायरा आगे बढ़ा रही है। जांच एजेंसी के सूत्र के मुताबिक, इन दोनों आरोपियों के साथ-साथ एस.के बंसल नाम के एक चार्टर्ड एकाउंटेंट को भी जांच एजेंसी द्वारा शनिवार शाम को ही गिरफ्तार की है। सूत्र के मुताबिक, गिरफ्तारी के पहले अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक सदस्यों ने कुछ गुनाह भी कबूला है, जिसे विस्तार से खंगाला जा रहा है।
दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी से एक दिन पहले हुई थी 17 लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन
ईडी के द्वारा शुक्रवार 27 अक्टूबर को राजधानी दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, पंचकूला, अंबाला के कुल डेढ़ दर्जन लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया गया था। अगर मामले की बात करें तो यह मामला अपने आप में काफी चर्चित मामला है। दरअसल जांच एजेंसी ईडी के द्वारा एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए काफी चर्चित अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक सदस्यों और करीब 1625 करोड़ के बैंक लोन फर्जीवाड़ा मामले में बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए इस सर्च ऑपरेशन के दौरान तमाम सबूतों को इकट्ठा किया जा रहा है। सोनीपत स्थित यूनिवर्सिटी कैंपस में शनिवार देर शाम तक जांचकर्ता मौजूद रहें और तफ्तीश कर रहे थे।
शराब माफिया और रियल एस्टेट से जुड़ सकता है कनेक्शन
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा इस केस को चंडीगढ़ जोन के द्वारा टेकओवर किया गया और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज करके आगे विस्तार से इस मामले में तफ्तीश की जा रही है और काफी शुरुआती इनपुट्स को खंगालने के बाद अब जांच एजेंसी छापेमारी की और तमाम कनेक्शन को ढूंढने का प्रयास कर रही है। इन मामले की तफ्तीश में पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड के निदेशकों का कई शराब कारोबारियों के साथ बेहद करीबी संबंध होने के साथ-साथ, रियल स्टेट कारोबार से जुड़े कई बड़े कारोबारी सहित कुछ राजनीतिक हस्तियों से जुड़ा कनेक्शन भी सामने आया है, लेकिन उसकी भूमिका को जांच एजेंसी के द्वारा खंगाला जा रहा है।
इस मामले में केस दर्ज होने के बाद अशोका यूनिवर्सिटी के कई संस्थापक सदस्यों ने सीबीआई जांच शुरू होने के बाद अपना पद वहां से छोड दिया था, हालांकि उस वक्त सोनीपत में स्थित विश्वविद्यालय के तरफ से एक बयान भी सामने आया था की यूनिवर्सिटी के निदेशकों और पैराबोलिक ड्रग्स फार्मा कंपनी से जुड़े निदेशकों का आपस में कोई कनेक्शन नहीं है। उससे जुड़े तार को जोड़ने का प्रयास करना एक गुमराह करने जैसा है, लेकिन जांच एजेंसी के सूत्र बताते हैं की इस मामले में जांच एजेंसी को पिछले कुछ दिनों पहले कुछ महत्वपूर्ण इनपुट्स मिले हैं। उसके बाद ही सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है।